है उत्सव और आनंद
खुशियों के उड़ते रंग
छाई है #होली की मस्तियां
क्योंकि ऋतु है #बसंत।
कपड़े पुराने ढूंढ रहे
आलमारी पूरी बिखराए
जिसको देखो वही लगे
जैसे नए नए सिलवाए ।
#गुटका दबा दबाए के
ऐसा मुंह लिया पिचकाए
खाने एक कौर को
मुंह भी न खुल पाए ।
#छपरी लोग कह रहे
होली छपरी का खेल
पर खुद की छपरी न झांक रहे
जिसमें क्या क्या हुए है खेल ।
22 # पंडे साधु संग
उतरे 11 भारत वीर
#पाकी तभी तो हार गए
कह गए पाकी टेली वीर ।
पानी बचाने होली में
ज्ञान वो रहे पेल
जो अपनी चीज धोने में
ढेरों पानी रहे उड़ेल ।
होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।
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