खुशियों के उड़ते रंग 
छाई है #होली की मस्तियां
क्योंकि ऋतु है #बसंत।
कपड़े पुराने ढूंढ रहे 
आलमारी पूरी बिखराए 
जिसको देखो वही लगे 
जैसे नए नए सिलवाए । 
#गुटका दबा दबाए के 
ऐसा मुंह लिया पिचकाए 
खाने एक कौर को 
मुंह भी न खुल पाए । 
#छपरी लोग कह रहे 
होली छपरी का खेल 
पर खुद की छपरी न झांक रहे
जिसमें क्या क्या हुए है खेल ।
22 # पंडे साधु संग 
उतरे 11 भारत वीर 
#पाकी तभी तो हार गए 
कह गए पाकी टेली वीर । 
पानी बचाने होली में 
ज्ञान वो रहे पेल 
जो अपनी चीज धोने में 
ढेरों पानी रहे उड़ेल । 
होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 15 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम, मेरी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में आज शनिवार 15 मार्च 2025 को लिंक http://halchalwith5links.blogspot.in पर शामिल करने के लिए , बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंबहुत खूब, होली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय , आपको भी बहूत शुभकामनायें ।
हटाएंहोली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय , आपको भी बहूत शुभकामनायें ।
हटाएंवाह ! मजेदार
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय , आपको भी बहूत शुभकामनायें ।
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