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शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

बूंदे# बारिश# की !

                                                            चित्र गूगल साभार 
                                                                  
अंजली में भर लिया बूंदे बारिश की ,
भोली भाली सीधी सादी सरल व निर्मल।
ठहर न सकी अंजली में बूंदे बारिश की , 
गिरने लगी एक एक कर हथेली से मचल मचल।
लगता था बैचेन थी बूंदे बारिश की ,
खुद मिट कर बुझाने को धरा की अगन।
प्रकृति को नव जीवन दे बूंदे बारिश की,
कुछ समाई धरा में तो कुछ धारा गई बन।
चल पड़ी अनंत यात्रा में बूंदे बारिश की ,
कल कल बहती नदियों में होकर शामिल।
प्यास बुझाती फसल उगाती बूंदे बारिश की ,
हर मुश्किल से पार करती पर्वत पहाड़ जंगल।
जिद जोश में बहती जाती बूंदे बारिश की ,
एक दिन सब छू ही लेंगी सागर के साहिल।
हो गयी समाहित सागर में बूंदे बारिश की ,
अनंत विस्तार पा गहराइयाँ भी की हासिल।
रवि रश्मि संग आँख लड़ाई बुँदे बारिश की ,
आसमा में उड़ चली छोड़ समंदर का दामन।
मेघ बन तैयार है बरसने को बुँदे बारिश की ,
भोली भाली सीधी सादी सरल और निर्मल।

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