फ़ॉलोअर

गुरुवार, 20 मई 2021

#महामारी के #कुचक्र में फँसकर कुछ अपनों ने साथ छोड़ा है !


#महामारी के इस दौर ने किसी न किसी अपनों को घेरा है,

जिनके इलाज और दवाओं के लिये कोना कोना टटोला है ।
पर विपरीत परिस्थितियां और बिगड़ी व्यवस्थाओं ने झँझोड़ा है,
स्वार्थी और निर्दयी इन्सानों ने भी कुकृत्यों की सारी हदें तोड़ा है ।
इन झंझावतों से लड़कर कुछ अपनों को मिला नया सबेरा है ,
पर दुर्भाग्य के कुचक्र में फँसकर कुछ अपनों ने साथ छोड़ा है ।
ऐसी बेबसी और लाचारी की अवस्था ने मन को झकझोरा है,
और अच्छा न कर पाने के एक अपराध बोध ने मन को घेरा है।
पर ईश्वर की मर्जी मानकर मन को समझा रहे थोड़ा थोड़ा है ,
तिनका तिनका हौसला जुटाकर बांध सब्र का न तोड़ा है ।
उनके साथ और आशीष बिना ये जीवन अब रहा अधूरा है ।
पर जो साथ है उनको लेकर जीवन सफर तो करना पूरा है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Clickhere to comment in hindi

बहती नदी मध्य एक #पत्थर !

ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव , पंछी , #नदियां और तालाब ठंडी ठंडी हवा का बहाव , आसमां का जहां #धरती पर झुकाव । बहती नदी मध्य एक #पत्थर , बैठ गय...