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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

बिना हद का आसमान है !

 

गूगल इमेज साभार 

बिना हद का आसमान है ,

ऑनलाइन के जमाने में ,

दिल भी बे-हद मिलेंगे ,

दीवानगी को आजमाने में ।

 

मुलाकातों भी होती है अब ,

चैट रूम  के ठिकाने में ,

लगता नहीं जरा भी वक्त ,

दिन रात गुजर जाने में ।

 

अदायें भी शामिल , नखरे भी ,

अपने चलचित्र  को  बनाने में ,  

बढ़ जाते है जिससे चाहने वाले ,

सोशल मीडिया के खजाने में ।

 

बदल रही है वफायें ,

नये दोस्तों के आ जाने में ,

वक्त भी लग रहा है कम ,

रिश्तों के बिखर जाने में ।

 

गर पहचान लें हद अपनी,

ऑनलाइन के जमाने में ,

दिल भी रहेंगे खिले “दीप” ,

दीवानगी के बागानों में ।

सुनने के लिए क्लिक करें

18 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मनोज सर , आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय जोशी सर , आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय रवि सर , आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय सिन्हा मेम मेरी प्रविष्टि् की चर्चा रविवार (26-9-21) को "जिन्दगी का सफर निराला है"((चर्चा अंक-4199) पर शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय ज्योति मेम, आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय मीना मेम, आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आज के परिदृष्य को रेखांकित करती सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  8. यथार्थ पर आधारित बहुत ही सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय जिज्ञासा मेम एवं मनीषा मेम आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय सैनी मेम एवं संदीप सर , आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत सुंदर सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  11. आज के गेजेट्स पर निर्भर होते समय पर उम्दा सृजन।
    यथार्थ सटीक।

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीय कोठारी मेम , आपकी उम्दा सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत उम्दा सा धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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