फ़ॉलोअर

शनिवार, 4 सितंबर 2021

चार #कांधे भी न मिले !


चार #कांधे भी न मिले ,

#अर्थी को उठाने में ।

जिन्होंने त्यागा है #प्राण ,

#कोरोना के लड़ जाने में ।


चुपचाप गये निकल ,

अन्तिम संस्कार करवाने में ,

अपने भी न पा सके मौका ,

उनका चेहरा देख पाने में ।


सबको लग रहा था डर, 

उनके पास जाने में ,

लोग मिलने न पहुंच सके,

उनके तीमार खाने में ।


दो शब्द भी न पा सके

सहानुभूति और सहलाने में । 

न पा सके अपनों का साथ,

मनोबल को बढ़ाने में । 


सब कुछ होते भी हो गये,

अकेले भरे जमाने में ,

कितना तकलीफ देह रहा होगा ,

वो मुश्किल वक्त बिताने में ।


चार कांधे भी न मिले ,

अर्थी को उठाने में ।

जिन्होंने त्यागा है प्राण ,

कोरोना के लड़ जाने में ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. कोरोना से जो मरे सचमुच उन्हें अंतिम समय में अपनों का साथ सहानुभूति या मनोबल कुछ भी नहीं मिला
    बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय मयंक सर, रविकांत सर एवं सुधा मेम आप सभी की मार्मिक सकारात्मक विचार अभिव्यक्ति के लिए बहुत साधुवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सत्य को उजागर करती हृदय स्पर्शी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय कोठारी मेम आपके सकारात्मक विचार अभिव्यक्ति के लिए बहुत साधुवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

#श्रीराम #अवतरण, प्रभु पड़े चरण ।

  #श्रीराम #अवतरण प्रभु पड़े चरण जगत जन जन सब प्रभु शरण । कृपा सिंधु नयन मर्यादा पुरुषोत्तम सदा सत्य वचन श्री राम भगवन । दुष्टों का दलन बुरा...