इमेज गूगल साभार
हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ,
भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।
तू शक्ति रूपेण, तू ममतामयी ,
तू दुर्गति नाशिनी, तू रक्षा दायिनी,
तेरी शरण सबकी छत्र छाया ।
सच्ची भक्ति , सच्ची श्रद्धा ,
सच्चे मन से करके पूजा ,
तेरे दर पर सब कोई आया ।
दरबार सजा , भक्तों से भरा ,
गूंज रहा माता का जयकारा ,
मां की ज्योति का हर कलश सजा ।
हो जगत कल्याण , भरे धन धान्य ,
हर मनोकामना हो जाये मान्य ,
खुशियों से भर जाये सारी धरा ।
हे जगदम्बे मां , अपरंपार महिमा ,
भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-10-21) को "पाप कहाँ तक गंगा धोये"(चर्चा अंक 4215) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
माँ की स्तुति में लाजवाब सृजन।
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सिन्हा मेम,
मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा "पाप कहाँ तक गंगा धोये"(चर्चा अंक 4215) पर शामिल करने के लिए सादर धन्यवाद एवं आभार ।
आदरणीय सुधा मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया स्वरूप सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर धन्यवाद ।