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मैं #रचनाओं को अपनी,
एक #तमाशा बनाता हूं ।
मचलती हुई मीडिया की,
दरों दीवार पर चिपकाता हूं।
कभी लिखकर यूं ही ,
एक #ब्लॉग बनाता हूं ,
तो कभी गाकर इनको ,
#पॉडकास्ट में सुनाता हूं ।
शेयर कर देता हूं कई बार ,
दोस्तों के वाट्स अप ग्रुप में,
तो कभी फेसबुक को भी ,
प्रदर्शन का ठिकाना बनाता हूं
डाल देता हूं बनाकर वीडियो
यूट्यूब के अपने चैनल में ,
तो ट्विटर, इंस्टा और कू भी ,
कई बार आजमाता हूं ।
वो तो भला हो सभी ,
ब्लॉग चर्चा मंचों का ,
जिसमें रचनाओं के लिये अपनी ,
एक स्थान पाता हूं ।
मैं #रचनाओं को अपनी,
एक #तमाशा बनाता हूं ।
मचलती हुई #मीडिया की,
दरों दीवार पर चिपकाता हूं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-08-2022) को "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक सर ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज के अंक "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
सादर ।
आदरणीय मीना मेम,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रोत्साहित करती बहुमूल्य और सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।
दीपक जी बहुत खूब। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रोत्साहित करती बहुमूल्य और सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।