कुछ नहीं होता भाग्य भरोसे, चाहे बैठ बहाये लाखों अश्रुनीर ,
नई तकनीक और कौशल ज्ञान से ,चढ़ते इंसा सफलता प्राचीर ।
असफल न हो अपने प्रयास हर वक्त ,लक्ष्यों को भेदे अपने तीर,
कौशल विकास और अभ्यास से , बन जायें अर्जुन से वीर ।
तकनीक ज्ञान की कुदाल चलाकर , दे धरती की छाती चीर ,
बह निकलेगा अवसर का दरिया , मिटेगी बेरोजगारी की पीर ।
नैया पार लगाते मांझी सबकी , पतवारों से जलधारा को चीर ,
औजार उपकरण ज्ञान पतवारें,लगायेगी नैया सफलता के तीर ।
अज्ञानता अकुशलता के तमस की , आओ अब तोड़ें जंजीर ,
महारथी और हुनरमंद हाथों से , बदलें अपने समझ की तासीर ।
नई तकनीक और कौशल"दीप " से ,खींचे ज्ञान की नयी लकीर,
करें लकीरें किस्मत की छोटी , बदलें अपने हाथों से तकदीर ।
***"दीप"***
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