चाहते है जमाने में लोग ,
किसी का कुछ हो न हो , उनका हर काम बन जाये ,
बाकी को मंजिल मिले न मिले , उनका एक मकाम बन जाये ।
चाहते है जमाने में लोग ,
अपना काम बनते तक , सलामत रहे दुनिया में सब ,
बाद दुनिया में कुछ रहे न रहे , चाहे तो शमशान बन जाये ।
जमाने में लोगों को,
तकलीफ होती है , जब लगता है वक्त दूसरों के कामों में ,
फिर काम होने में अपना , चाहे वक्त यह तमाम लग जाये ।
जमाने में लोगों को ,
सरोकार नहीं होता है कुछ भी , किसी को कुछ मिले न मिले ,
पर उन्हें उनकी सहूलियत का , सारा सामान मिल जाये ।
चाहते है लोग इस जहान में ,
बिक जाये उनकी हर चीज , महंगे से महंगे दामों में ,
पर दुनिया की उन्हे हर चीज , बेमोल या बेदाम मिल जाये ।
लोग इस जहान में ,
देते रहते है नसीहते सबको , ईमानदारी से फ़र्ज़ निभाने की,
होते है दरकिनार कायदे "दीप",जब उनका काम निकल आये।
गर इस जमाने में ,
खुदगर्जियों से ना मतलब , कोई दिल ए नादान मिल जाये,
तो दुनिया में जरूरतमंदों को , जरूरत का सामान मिल जाये ।https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220349395154710&id=1524713766
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