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मंगलवार, 12 नवंबर 2019

सहला# रहे है वो# अब पसीने# से तर बाल# !

इमेज गूगल साभार 

वो धूप का कर इस्तकबाल ,
छत पर सुखाते है अपने गीले बाल,
सुनहरी धूप के आगोश में ,
तन मन उनका सुकुं से हुआ निहाल ।

रवि भी शनै शनै चल रहे है चाल ,
बढ़ा रहे है तपन होकर कुछ लाल ।

बढ़ती तपन से है लाल उनके गाल ,
अब पोछते है पसीना तन का ,
लेकर एक मखमली रुमाल ,
अब परेशां है वो होकर बेहाल ।

दरखतों में रुक गई है रवि की चाल ,
उनके तले शीतल छांव है कमाल ।

बेचैन दिल में उनके आया इक ख्याल ,
काश मिले कहीं ठंडी छांव का जाल ,
जा ठहरी नजरें उनकी इक दरख़्त में ,
पाने ठंडी छांव बढ़ चले कदमताल ।

दरख्तो के साये उन्हें मिला जो सुकून ,
सहला रहे है वो अब पसीने से तर बाल ।
            ****,दी.कु.भानरे (दीप) ****https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220683880356631&id=1524713766

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