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शनिवार, 16 नवंबर 2019

चलो कुछ पत्थर# तो तबियत# से उछालें यारो# !

चलो कुछ पत्थर# तो तबियत# से उछालें यारो# !

चलो कुछ पत्थर तो तबियत से उछालें यारो ,
कोई तो जाकर सुराख करेगा यारो ।

पत्थर यूं ही वापस आये तो क्या ,
आसमां तक नहीं पहुंच पाये तो क्या,
सुराख नहीं भी कर पाये तो क्या ,
इस बात का ग़म तो नहीं होगा  कि ,
मैंने एक भी पत्थर आसमां में नहीं उछाले यारों ।

ये बात भी तो हो सकती है कि,
उस समय तबियत ही नहीं थी ,
वो पूरी ताकत से उछाला ही नहीं ,
तो आसमां में सुराग कैसे होता ,
तो भी आसमां में कुछ पत्थर तो उछाले यारों ।

ऐसा भी तो हो सकता है यारों ,
उछालने के लिये जो पत्थर चुने गए थे ,
वे सही आकार और वजन के नहीं थे ,
इसलिये आसमां में सुराख नहीं कर पाए ,
तो हमने गलत पत्थर आसमां में उछाले यारों ।

अगली बार सही पत्थर का चयन करेंगे,
जोश और होश को संभालते हुए  ,
पूरी ताकत और तबीयत से उछालेंगे,
जब तक कि आसमां में सुराख नहीं हो जाये,
और तब तक पत्थर आसमां में उछालेंगे यारों । 

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