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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

यूं #जिंदगी के #आलम न होते #खफा !



दागों पर सजावटों  का लगा पहरा ,
हकीकतों पर डल रहा  है परदा  ।

कुटिल सी  मुस्कुराहटें  और अदा ,
पैदा कर रही है संशय और अंदेशा ।

इन  मुखोटों को मानकर सही चेहरा ,
बेफिक्र होकर जी रहे  है सब नादां ।

सजावटी आवरण में जो दाग था छुपा ,
वो अंदर ही अंदर एक नासूर सा पका ।

छुपा दाग जिंदगी के लिए बना धोखा ,
कारण एक गंभीर बीमारी का बना ।

अच्छा होता जब हमने दाग था देखा ,
उसी समय मर्ज मान, कर देते दवा ।

यूं जिंदगी के आलम न होते खफा ,
बस हर किस्सा होता सच्चा और खरा।

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