समझ है ,
न सजग है ,
इमेज गूगल साभार |
#बेपरवाह सी ,
ये #चाहत है ।
सही है ,
क्या गलत है ,
परिणाम इसका ,
किस करवट है ।
खुश है ,
या आहत है ,
पता नहीं ,
मन की क्या #हालत है ।
ये लत है ,
या आदत है ,
कहता है जमाना ,
ये तो #पागलपन की हद है ।
जरूरत है ,
न मदद है ,
लगता है जमाना ,
हुआ मुझसे अब अलग है ।
न दुश्मन कोई ,
न कोई शुभचिंतक है ,
साथ मेरे वो है ,
या मेरा रब है ।
समझ है ,
न सजग है ,
बेपरवाह सी ,
ये चाहत है ।