फ़ॉलोअर

रविवार, 15 अप्रैल 2018

कब तक ज्यादिती# की बेदी# पर बेटी# चढ़ती रहेगी रोज!

कब तक ज्यादिती# की बेदी# पर बेटी# चढ़ती रहेगी रोज।

जन्म से पहले ही तो सुरक्षित नहीं थी माँ की कोख ।
दुनिया में आने से पहले अपने ही लगा रहे थे रोक ।
जैसे तैसे इस दुनिया में बेटी ने जन्म लिया एक रोज ।
क्या पता पहले से ही ताक पर बैठे मिलेंगे दरिंदे लोग ।
किस से बचाये अपने को न जाने किसके मन में खोट ।
न जाने  कब  कौन सा साथी कब खो दे अपने होश  ।
गलती नहीं होने पर भी अपनी  हर बार सहती चोट ।
न जाने कब तक लेना होगा अपने सर माथे सारा दोष ।
रोक सका न शोषण अब तक कानून व् केंडल विरोध ।
इतने पर ही  इतिश्री कर क्यों सिल जाते सब के होंठ ।
कब तक उपभोग की वस्तु समझने की न बदलेगी सोच ।
कब तक ज्यादिती की बेदी पर बेटी चढ़ती रहेगी रोज ।
Please visit also
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10216026122675600&id=1524713766

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Clickhere to comment in hindi

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...