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रविवार, 26 जुलाई 2009

ऐसा सच सामने लाया जाए जो देश और समाज हित मैं हो !

एक टीवी चॅनल मैं इन दिनों प्रसारित हो रहे एक करोड़ इनाम वाले - सच का सामना कार्यक्रम पर सच अथवा हकीकत के सार्वजानिक किए जाने पर व्यापक बहस का मुद्दा बना हुआ है । एक और जन्हा यह कार्यक्रम सेलिब्रिटी / पर्तिभागी के निजी जीवन के बिविन्ना पहलुओं की सच्चाई को परत दर परत खोलने की दिशा मैं आगे बढ़ता है । वन्ही स्टेज दर स्टेज यह कार्यक्रम बेहद निजता के करीब पहुंचता जाता है और इतने करीब की जो मर्यादाओं और सीमओं को लांघते हुए बेहद निजी जीवन की और झाँकने का प्रयास होता है वह भी परिवार के बहुत निजी सहयोगी पत्नी , सम्मानीय माता पिता अवं भाई बहनों के साथ आम जनता के सामने । जन्हा साड़ी सीमाओं को लांघते हुए जीवन मूल्य और सामाजिक रिश्तों की मर्यादा धाराशाही होने लगती है ।
कुछ ऐसी बातें जिनका परदे मैं रहना ही परिवार अवं समाज के लिए हितकर होता है उन्हें उभारकर परिवार मैं बिखराव , संबंधों मैं मर्यादाओं , आपसी विश्वाश और सम्मान की भावना का ध्वस्था होना अवं सामाजिक प्रतिष्ठा को दों पर लगने की संभावनाओं की और अग्रसर होने से इनकार नही किया जा सकता है । क्योंकि इसी अवधारणा पर आधारित कार्यक्रम अमेरिका , ग्रीस और कोलंबिया मैं भी प्रसारित हो चुके हैं और इसी प्रकार की परिणिति के चलते इन्हे बंद करना पड़ा है ।
इसमे प्रतिभागी का भाग लेने का आधार अलग अलग हो सकता है । जनः एक और इसमे एक करोड़ का लालच , विवादस्पद होकर प्रसिद्धि पाने की चाह और डूबते कैरियर को सहारा देने की चाह अथवा अन अभिव्यक्त हुई या अपूर्ण हुई चाहत के चलते दीवानगी माना जा सकता है । वन्ही दूसरी और कार्यक्रम को ज्यादा लोकप्रिय बनाने हेतु कार्यक्रम ज्यादा रोचक अवं स्टेज दर स्टेज ज्यादा निजता की परत उघाड़ कर उत्सुकता पैदा करने का प्रयास कहा जा सकता है । साथ ही विवादस्पद रूप देकर टी आर पि बढ़ाने की चाह से भी इनकार नही किया जा सकता है ।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्र का नाम देकर इसके पूरे स्वरुप को पूरी तरह उचित नही कहा जा सकता है । ऐसी अभिव्यक्ति जो परिवार और समाज के हित मैं नही हो उसे उचित नही कहा जा सकता है । पारिवारिक रिश्ते को बिघटन की और ले जाने और और असामाजिक अवं अमर्यादित गतिविधियों के सार्वजनिक प्रदर्शन पारिवारिक संस्था और समाज की सेहत के लिए ठीक नही माने जा सकते हैं ।
इस तरह के कार्यक्रम को सही रूप मैं प्रस्तुत किया जाए एवं अबैध संबंधों और निजता से जुड़े अमर्यादित सीमा रहित प्रश्नों को दरकिनार किया जाए तो ऐसे कार्यक्रम देश और समाज के हित मैं एक नई क्रांति का आगाज और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मैं एक नए युग का सूत्रपात कर सकते हैं । झूठ पकड़ने की मशीन के प्रयोग से सच को सामने लाने की अवधारणा को अपनाते हुए कथित रूप से आरोपित व्यक्ति और देश मैं छुपे बहरूपियों द्वारा दिए जाने वाले सक्क्षत्कार की हकीकत को सामने लाकर बेनकाब किया जा सकता है
आशा है भारतीय परिवेश के अनुरूप इस तरह के कार्यक्रम को सुसंस्कारित रूप मैं परिमार्जित एवं संसोधित कर नए रूप मैं प्रस्तुत किया जावेगा जो देश और समाज के हित के अनुरूप सर्वग्राह्य होगा ।

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