कहता# नहीं मुंह# पर ........!
कितने फरेब पाल रखे है इंसा ,
पर कोशिश होती है सच की तरह दिखाने की ।
कोई समझ न पायेगा सोचता है इंसा ,
खुश होता है सोचकर नादानियां जमाने की ।
खुद तो जिम्मेदारी से दूर भागता है इंसा ,
दूसरों को तालीम देता है उसूलों को आजमाने की।
खुदा भी रखता हिसाब भूल जाता है इंसा ,
झोंकता रहता है ताउम्र धूल आँखों में जमाने की ।
छोड़ भी दे ऐसी नाकाम कोशिशें ऐ इंसा ,
भागकर अपनी जिम्मेदारी से खुद को भरमाने की ।
क्योंकि इतना नादान नासमझ नही है इंसा ,
कहता नहीं मुंह पर समझता सब चालाकियां जमाने की ।
कितने फरेब पाल रखे है इंसा ,
पर कोशिश होती है सच की तरह दिखाने की ।
कोई समझ न पायेगा सोचता है इंसा ,
खुश होता है सोचकर नादानियां जमाने की ।
खुद तो जिम्मेदारी से दूर भागता है इंसा ,
दूसरों को तालीम देता है उसूलों को आजमाने की।
खुदा भी रखता हिसाब भूल जाता है इंसा ,
झोंकता रहता है ताउम्र धूल आँखों में जमाने की ।
छोड़ भी दे ऐसी नाकाम कोशिशें ऐ इंसा ,
भागकर अपनी जिम्मेदारी से खुद को भरमाने की ।
क्योंकि इतना नादान नासमझ नही है इंसा ,
कहता नहीं मुंह पर समझता सब चालाकियां जमाने की ।
बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद