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रविवार, 29 जनवरी 2023

अभी रखें #दिल को जरा #सुकून से ।

 


हजारों काम है #जमाने में ,
इस एक #चाहत के सिवा ,
बचना जरा ऐसे #जुनून से,
अभी रखें #दिल को जरा #सुकून से । 
 
लेना नहीं है चाहत का कोई रोग ,
मिलना नहीं किसी से रोज रोज ,
अभी खेलना नहीं ऐसे #नाखून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से । 
 
अभी साधने है कई लक्ष्य ,
ज़िम्मेदारी के निभाने है कई चक्र ,
लिखनी कई #इबारत पसीने और खून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से । 
 
तय वक्त पर करना है हर काम ,
ताकि सबको मिले एक अंजाम ,
अभी चलना है एक कानून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से । 
 
हजारों बेकाम हो गये जमाने में ,
खुद को इस चाहत पर मिटा ,
करें रहम इस दिले मासूम से,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
                         ****”दीप”क कुमार भानरे ****

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 जनवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय यशोदा मेम ,
    मेरी लिखी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 31 जनवरी 2023 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. पर चाहत कोई काम तो नहीं है न और जब यह किसी दिल में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का बस नहीं चलता

    जवाब देंहटाएं
  4. तय वक्त पर करना है हर काम ,
    ताकि सबको मिले एक अंजाम ,
    अभी चलना है एक कानून से ,
    अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
    लक्ष्य को अंजाम तक पहुँचाने में चाहत बाध्य नहीं बनेगी हाँ हर चीज का अपना समय होता है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. चाहत किसी दिल में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का बस नहीं चलता। जी ठीक कहा ।
    आदरणीय अनीता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय सुधा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुकून के लिए तो लोग शायद चाहत पालते हैं । और सबसे ज्यादा बे सुकून हो जाते हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  9. सही कहा , आदरणीय संगीता मेम । आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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