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बुधवार, 5 जून 2024

अब न करेंगे हम #प्रकृति को तंग,


मुरझा गई पेड़ों की पत्ती,

दिखते नहीं आंगन में पक्षी,

बूंद बूंद पानी को तरसती ,

पशु पक्षी इंसानों की बस्ती ।


कंकाल बना देह नदी का ,

चटक गया सीना धरती का,

पत्थर पहाड़ तपे भट्टी सा ,

जैसे स्नान किये सब अग्नि का ।


चलता हल धरती को चीर ,

चुभती गर्मी तन बहता नीर ,

घर में बैठी दुबक के भीड़ ,

बाहर खेला करते श्रमवीर ।


आसमां को अब तकते नयन ,

सूर्य देवता समेटो गर्मी प्रचंड,

अब न करेंगे हम प्रकृति को तंग,

सहेजेंगे सवारेंगे प्रकृति कण कण ।


#पर्यावरण दिवस 05 जून, एक पेड़ लगाएं वेरी सून ।


अब न करेंगे हम #प्रकृति को तंग,

मुरझा गई पेड़ों की पत्ती, दिखते नहीं आंगन में पक्षी, बूंद बूंद पानी को तरसती , पशु पक्षी इंसानों की बस्ती । कंकाल बना देह नदी का , चटक गया स...