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रविवार, 30 जून 2024

#अनजानी राहों की , क्यों छानते हो खाक !

 

#अनजानी राहों की ,
क्यों छानते हो खाक,
बहुत कुछ मौजूद है,
जाना पहचाना आसपास।

अपने अंदर जरा तो,
एक बार तो झांक ,
मिल जायेगा खुद में,
जो अपने अंदर है खास।

धार देकर जरा उसको ,
कुछ #खासियत से नवाज,
बनाओ फिर जीने का,
एक अलग ही अंदाज ।

#मुश्किल होगी जब सामने,
तो खा जायेगी मात ,
बढ़ते रहेंगे राहों में ,
और #मंजिल होगी पास ।


 

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#अनजानी राहों की , क्यों छानते हो खाक !

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