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रविवार, 25 मई 2025

#पुरानी सी एक #हवेली !

 


#पुरानी सी एक #हवेली

कहता गांव #भूतों की सहेली
दिन में होती आम बात
पर हो जाती रात खौफनाक
जो अब तक है अबूझ पहेली
और बनी है अब तक एक राज ।

हवाओं के झोंको से
चरमराते और कराहते कपाट
अंदर अंधेरे कमरे में
बर्तन गंदे और टूटी एक  खाट
बैठा जिस पर एक शख्स
बुरी शक्ल करता बकवास
छिपकली ,चमगादड़ और मकड़ी
जैसे है उसके अपने और खास ।

उल्लू और कुत्ते सियार
जिनकी डरावनी रोती आवाज
जानवरों की चमकती
घूरती अंधेरे में डरावनी आंख
सूखे पत्तों पर  चलने की
खर खर करती  पदचाप।

जाता जो भी वहां रंगबाज
आया न वापस वो उस रात
कुछ चीखें ओर कुछ छटपटाहट
और पक्षियों की मंडराती बारात
फिर एक सुई पटक सन्नाटा
और जरा भी न चि पटाक
बंद हो गया हवेली में
एक और रहस्यमय राज ।
                  ***दीपक कुमार भानरे***

शुक्रवार, 16 मई 2025

#भारत ने खेल #खेल दिया ।

 

रातों रात रेल दिया
घुसकर अंदर पेल दिया
आतंकिस्तान में तबाही का
भारत ने खेल खेल दिया ।

भस्म हुये आतंकी नापाक
फेल गई बस आग ही आग
अड्डे सब हुये है जलकर खाक
भारत ने मचाया ऐसा सर्वनाश ।

बदला बना ऐसा नजीर
सटीक निशाने पर थे सब तीर
छोड़ा बनाकर दुश्मन को फकीर
धन्य धन्य भारत के सैन्य वीर ।

आंख उठाकर अब देखा अगर
तो भारत मचायेगा ऐसा कहर
टूट टूटकर सब जायेगा बिखर
दुश्मन न आयेगा नक्शे में नजर ।

जय हिंद जय भारत ।

#बारिश की बारात में करना पड़ेगा विदा ।

  कब तक संभाल रखोगे जल #बूंदों का कारवां कभी तो करना होगा विदा एक दिन ए #आसमां। माना कि कई दिवसों से  अपने आंचल #मेघ में  जिनको रखा था छुपा ...