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बुधवार, 3 दिसंबर 2008

वक़्त आ गया है देश के राजनीतिक ढांचे मैं बदलाव का !

हाल ही मैं हुए मुंबई की बम धमाके से लोगों का राजनीतिक नेत्रत्व के प्रति बढ़ते आक्रोश से राजनेता के प्रति गिरते विश्वाश और धूमिल होती साख से देश की वर्तमान लोकतान्त्रिक व्यवस्था से भरोसा उठ गया है । इस घटना के बाद जिस तरह से राजनेताओं द्वारा असम्वेदन शीलता और गंभीर हीनता का परिचय दिया जा रहा है वह लोगों के जख्मो मैं मरहम लगाने की बजाय दर्द को और बढ़ा रहे हैं । उनके द्वारा दिए जा रहे असयंत बयान और क्रियाकलाप असम्वेदन शीलता और गंभीर हीनता का प्रदर्शन कर रहे हैं । और देश के लोगों की सुरक्षा और सामाजिक और आर्थिक विकास की जिम्मेदारी और जवावदेही के प्रति अकर्मण्यता ने उनके आ कुशलता और असफलता को जग जाहिर किया है ।

अब लोगों को इस बात के लिए तैयार नही होंगे की अपने देश और प्रदेश की बागडोर अब इस प्रकार असम्वेदन शील , गंभीर हीन और अकर्मण्य , अयोग्य और शारीरिक रूप से शिथिल हो चुके राजनेताओं को सोपें । अतः अब समय आ गया है की देश के राजनीतिक ढांचे मैं भारी बदलाव किया जाए । देश के राजनेताओं जिन्हें की ११० करोड़ लोगों के देश और प्रदेश को चलाने की जिम्मेदारी और लोगों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी जानी होती है के लिए भी अब योग्यता के विभिन्न मापदंड तय किए जाने चाहिए ॥ जन्हा देश मैं एक चपरासी हेतु भी योग्यता के विभिन्न मापदंड तय किए जाते हैं तो इनके लिए क्यों नही ? मेरे विचार से देश के राजनीतिक ढाँचे मैं कुछ इस प्रकार बदलाव तो किए जाने चाहिए ।

१. सांसद और विधायकों के उम्मीदवारी की योग्यता परिक्षण हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ।

शारीरिक और मानसिक रूप से बुढाते राजनेताओं की उम्र सीमाँ भी निर्धारित की जाए ।

३ सांसद और विधायकों हेतु उम्मेदवारी की शैक्षणिक , शारीरिक और मानसिक योग्यता का निर्धारण हो । चरित्र सत्यापन भी अनिवार्य किया जाए ।

४ मंत्री मंडल मैं पदों हेतु भी विभाग से सम्बंधित क्षेत्र मैं अनुभव और निर्धारित योग्यता का निर्धारण होना चाहिए ।

५ सांसद और विधायकों की दावेदारी हेतु उसके ग्रह जिला अथवा क्षेत्र मैं सामाजिक और जनसेवा के कार्यों का लगभग १० वर्ष का अनुभव अनिवार्य हो ।

६ देश चलाने का एजेंडा राजनीतिक पार्टी की बजाय राष्ट्रीय स्तर पर गठित समिति द्वारा तय किया जाए । राष्ट्रीय समिती मैं विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों को शामिल किया जाये ।

७ तय एजेंडा पर सरकार के कार्य का आकलन हर ६ माह मैं किया जाए । यदि परफॉर्मेंस ६० प्रतिशत से कम हो तो सरकार को बदला जाए ।

८ इसी तरह सरकार के सभी मंत्रियों और सांसदों और प्रदेश स्तर के विधायकों के कार्यों का भी आकलन किया जाए । यदि परफॉर्मेंस ६० प्रतिशत से कम हो तो उन्हें बदल दिया जाए ।

९ मंत्रियों और सांसदों और प्रदेश स्तर के विधायकों द्वारा अपने कार्य मैं असफल रहने एवं गलती होने पर सजा का प्रावधान हो ।

१० अपने क्षेत्र मैं चुनाव मैं हारे उम्मीदवार को किसी भी स्थिति मैं सरकार मैं स्थान ना दिया जाए ।

११ चुनाव मैं उम्मीदवार के चयन मैं कोई नही का विकल्प अथवा नो वोट का विकल्प दिया जाए ।

१२ लोकसभा एवं विधानसभा , केन्द्र एवं राज्य स्तर की सरकार एवं प्रशासनिक व्यवस्था की मूलभूत जानकारी से आम जनता को परिचित कराया जाए । प्रायः देखने मैं यह आता है की चुनाव किस स्तर की सरकार के लिए हो रहा है ।

१३ मतदाताओं की भी शैक्षणिक योग्यता का भी निर्धारण किया जाना चाहिए । कम से कम प्राथमिक स्तर की शिक्षा का मापदंड तो तय किया जाना चाहिए ।

१४ प्रतिवर्ष सांसदों और विधायकों की स्थाई और अस्थाई संपत्ति का व्योरा प्रस्तुत करना अनिवार्य किया जाए ।

१५ प्रतिवर्ष सांसदों और विधायकों का शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का परिक्षण अनिवार्य किया जाए ।

१६ सरकार अथवा सांसदों और विधायकों को अपने दायित्वों को निभाने मैं असफल रहने पर जनता को उन्हें वापिस बुलाने का अधिकार दिया जाए ।

१७ प्रधानमन्त्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री का चुनाव भी प्रत्यक्षा मतदान प्रणाली से किया जाए ।

१८ सांसदों और विधायकों की उम्मीदवारी हेतु खड़े लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाना अनिवार्य हो ।

तभी हम देश मैं एक स्वच्छ और योग्य राजनीतिक नेत्रव की उम्मीद कर सकते हैं जो देश के विकास और जन हितार्थ के कार्यों मैं खरे उतर पायेंगे ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कहने! बरसों से मैं भी यही सोच रहा हूं। और शायद करोडों भारतीय भी यही सोचते हैं। लेकिन हमारी बात नेतृत्व तक पहुंचे कैसे? कृपया इस लेख को editor@ibnlive.com को ईमेल करें, शायद टीवी वाले आपकी बात सुनकर आगे बढ़ायें। प्रधानमंत्री के औफिस को चिट्ठी भी लिखें। पता यहां है: Prime Minister's office, Room No. 152, South Block, New Delhi, 110001

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  2. बहुत उचित सलाह है आप की, ओर जो भी उम्दीवार आये पहले अपनी समंपति का व्योरा भी दे, ओर जो वादे चुनव से पहले करे, उन्हे पुरे भी करे.
    बहुत अच्छा लगा.
    धन्यवाद

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  3. आप के सुझाव वजनदार हैं। लेकिन सब से निचले स्तर पर अर्थात् मतदान के लिए बनाए गए प्रत्येक भाग में मतदाताओं का एक कानूनी संगठन अवश्य बने सभी मतदाता जिस के सदस्य हों और प्रत्येक भाग की समितियाँ बनें। जब तक ऐसा न होगा। जनतंत्र केवल कुछ लोगों का खिलौना बना रहेगा। ये भाग संगठन होना बहुत जरूरी है।

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  4. sadhuwaad ! प्रशंसा के लिए शब्द नही मेरे पास.बहुत बहुत सार्थक बात कही आपने.
    काश ये सुझाव उन लोगों तक पहुँच पाए और व्यवहृत रूप प् पाए तो हमारा गणतंत्र सच्चे अर्थों में गणतंत्र हो पायेगा.
    पर समस्या यह है कि जिस सत्ता को पाने के लिए घोर से घोरतम कुकर्म ये जनसेवक करते हैं,उनका एकमात्र उद्देश्य स्व सेवा और धनोपार्जन है.ऐसे में कोई अपने पैरों पर कुल्हाडी क्यों मरेगा.

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  5. sadhuwaad ! प्रशंसा के लिए शब्द नही मेरे पास.बहुत बहुत सार्थक बात कही आपने.
    काश ये सुझाव उन लोगों तक पहुँच पाए और व्यवहृत रूप प् पाए तो हमारा गणतंत्र सच्चे अर्थों में गणतंत्र हो पायेगा.
    पर समस्या यह है कि जिस सत्ता को पाने के लिए घोर से घोरतम कुकर्म ये जनसेवक करते हैं,उनका एकमात्र उद्देश्य स्व सेवा और धनोपार्जन है.ऐसे में कोई अपने पैरों पर कुल्हाडी क्यों मरेगा.

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  6. १. सांसद और विधायकों के उम्मीदवारी की योग्यता परिक्षण हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया जाना चाहिए
    कोई फायदा नहीं - यह हार नेताओं के साथ आई ऐ एस/आई पी एस के बड़े अमले की भी है और वे सभी प्रतियोगी परीक्षाएं पास कर के ही आते हैं. रटंत विद्या जिंदाबाद!

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  7. बहुत खूब , बहुत ही सटीक शब्द और व्यंग से परिपूरन.
    आपकी कलम निरंतर चलती रहे यही प्रार्थना है.

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  8. कोई फायदा नहीं नेतामंत्रियों और सांसदों राजनेता शारीरिक रूप से शिथिल हो चुकेहै

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