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सोमवार, 23 नवंबर 2009

ऐसी ख़बरें अब हैरान नही करती - विचलित और दुखित जरूर करती है !

हाल ही मैं मधु कोड़ा द्वारा काली कमाई से अरबों रुपयों एकत्रित करने का समाचार अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया मैं छाया रहा । किंतु ऐसा लगता है की अब देश के लोग अब ऐसी ख़बरें सुनकर और पढ़कर हैरान नही होते होंगे , क्योंकि नेताओं और मंत्रियों के भ्रष्टाचार और काली कमाई से अकूत धन संपत्ति जमा करने की ख़बरें जितनी तेजी से सनसनी खेज ख़बरें बनकर सामने आती है उतनी तेजी से देश के खबरिया परिद्रश्य से गायब भी हो जाती है । कार्यवाही के नाम पर वाही बेनतीजा जांच पड़ताल और लीपा पोती होती है । चारा घोटाला , ताज कोरिडोर मामला , हवाला काण्ड और बोफोर्स दलाली मामला न जाने कितने मामले अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से देश के सामने आए , किंतु इन सबका क्या हस्र हुआ वह वह देश वासी से छुपा नही है । और अब मधु कोड़ा के मामले का भी हस्र को भी संभवतः सभी देश वासी जानते ही होंगे । दिन बीतते जाने पर अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से ख़बरें ओझल होती जायेगी और लोगों के दिमाग से भी । बाद मैं किसी को भी यह जाने की फिक्र नही होती है की मामले पर क्या कार्यवाही हो रही है और किस स्थिति तक पहुची है ।
ऐसे मामलों मैं एक बात और सामने आती है की हमेश आरोपी पक्ष इन आरोपों से इंकार करता है और कई बार ऐसे सदमे मैं अस्पताल की और रुख कर जाता है जो की इस तरह के लगभग सभी मामले मैं होता है । किंतु उनकी कथनी और करनी मैं तब संसय के बादल उठने लगते है जब आरोपी राजनेता अथवा मंत्री गण मातृ आरोपों से इनकार कर अपना पल्ला झाड लेते हैं , और यदि वाकई ये राजनेता बेदाग़ और पाक साफ़ है तो उनके विरुद्ध ऐसे आरोप लगाने और छापने वालों पर कोई कानूनी कार्यवाही क्यों नही करते है ।
दूसरी बात यह की आख़िर अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मीडिया वाले बिना किसी आधार और तथ्यों के अति विशिष्ट और जिम्मेदार पदों पर आसीन व्यक्ति पर आरोप तो ऐसे ही नही लगाते होंगे । उनके पास भी तो कोई विश्वशनीय सूत्र अथवा श्रोत तो रहते होंगे तो फिर क्यों नही सरकार और जांच एजेंसी इस तरह अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा जुटाए गए प्रमाणों को अपनी जांच कार्यवाही मैं शामिल करती । और यदि ऐसी ख़बरें आधार हीन और झूठी होती है तो ऐसे अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया वालों पर कार्यवाही क्यों नही करती है और क्यों नही उनसे इसके लिए जवाव मांगती है । किंतु दोनों ही परिष्ठितियाँ मैं ऐसी निष्क्रियता और नकारात्मक भाव दाल मैं काले होने की आशंका को बलबती करती है । और इन सबके बीच देश वासी ऐसी ख़बरें को सुनकर और पढ़कर और ऐसे मामलों के हस्र को सोचकर विचलित और दुखित जरूर होता है किंतु ऐसी ख़बरें आने पर हैरान नही होता है ।

1 टिप्पणी:

  1. यह खबरे तो सच होती है, लेकिन राज नीतिवाज सब चोर है इस लिये थोडा नाम उछाल कर अपना काम निकाल लेते है, फ़िर आज उसे पकडा तो कल वो मुझे भी तो पकड सकता है
    धन्यवद इस अति सुंदर लेख के लिये

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