हमारे देश में धार्मिक स्थलों पर त्योहारों एवं उत्सवों के अवसर पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है । और हमेशा की तरह शासन और जनसमुदाय द्वारा बरती गई असावधानी और सजगता का आभाव किसी बड़े हादसों का कारण बनती है । इन हादसों पर फोरी तौर पर कई सुरक्षात्मक कदम उठायें जाने की घोषणा की जाती है एवं जनसमुदाय द्वारा भी सावधानी बरते जाने की बातें की जाती है । और समय गुजरते गुजरते स्थिति वही "ढाक के तीन पात " हो जाती है । यही मानवजति की समय के साथ पूर्व घटित घटना के सबक को भूलने की ही स्वभाविक प्रवृत्ति का ही परिणाम है की एक बार पुनः मकर सक्रांति के अवसर पर पश्चिम बंगाल में गंगासागर का हादसा एवं पटना में गंगा नदी में नाव पलटने पर डूबने से हुई मोतों की दुर्घटना हुई है ।
निश्चय ही त्योहारों और उत्सवों के अवसरों पर ऐसी घटनाएं ख़ुशी के माहोल को गमगीन कर जाती है और कंही न कंही श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास पर कुठाराघात कर जाती है साथ ही शासन प्रशासन के व्यवस्थाओं पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है ।
जरुरी है की ऐसी घटनाओ की पुनरावृत्ति को रोकने हेतु शासन द्वारा कारगर और प्रभावी कदम उठायें जाएँ । आयोजन स्थल में उपस्थित होने वाले जनसमुदाय की निश्चित संख्या की जानकारी जुटाई जाये , जिससे सुरक्षात्मक और आवश्यक व्यवस्थाएं हेतु प्रभावी कदम उठायें जा सके । उपस्थित होने वाले जनसमुदायों के पंजीकरण की व्यवस्था भी की सकती है इससे सभी की उचित जानकारी का संधारण हो सकेगा । इसके लिए स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है । हो सके तो उपलब्ध संसाधनों और क्षमता के अनुसार श्रद्धालुओं की उपस्थिति संख्या को सीमित किया जावे । संभावित खतरों का आंकलन कर आवश्यक सुरक्षात्मक एवं उपचारात्मक व्यवस्थाएं बनायीं जावें । उपस्थित होने वाले श्रद्धालुओं को भी व्यवस्थाओं और संभावित खतरों के सम्बन्ध मेँ आवश्यक परामर्श एवं निर्देश दिए जावें । खतरे वाली जगहों को चिन्हाकित कर आवाजाही प्रतिबंधित की जावे ।
शासन और जनसमुदाय के समुचित सहयोग से उचित प्रबंधन द्वारा अनिष्ट घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है और देश में त्याहारों एवं उत्सवों के अवसरों की खुशियों को दुःख और शोक के ग्रहण से बचाया जा सकता है ।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’स्वतंत्र दृष्टिकोण वाले ओशो - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंश्रीमान सेंगर जी पोस्ट को आज की बुलेटिन ’स्वतंत्र दृष्टिकोण वाले ओशो - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल करने हेतु सादर धन्यबाद एवं आभार ।
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