वो दिल को बड़े ही अच्छे लगते हैं ,
उनके ही ख्वाब आंखों में पलते हैं ।
अब तो उनसे हाले दिल बयां करने की,
कोशिश में कई लम्हे यूं ही निकलते हैं ।
लगता है वो इस बात से बेखबर लगते हैं
कि कोई उन पर किस कदर मरते हैं ।
कुछ मुस्कुराहटों की खैरात लुटाकर ,
चंद लम्हों में ही अपनी गली निकलते हैं ।
खुदा जाने किस रोज़ वो पिघलते हैं ,
कब अरमान उनके दिल में मचलते हैं ।
इस कदर उनकी बेरुखी के आलम ,
अब इस दिल को बहुत ही खलते हैं ।
अब थोड़ा इस दीवानगी से संभलते है,
उनकी ख्वाहिशों पर न खलल बनते हैं ।
जरूरी नहीं की जो मेरे अपने ख्वाब है
वहीं उनके दिल में भी पलते है ।
वो दिल को बड़े ही अच्छे लगते हैं ,
उनके ही ख्वाब आंखों में पलते हैं ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद जोशी सर।
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