अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ,
गम के समंदर में दुनिया डुबाया न करो ,
बमुश्किल से आती है साहिल पर कश्ती जिंदगी की ,
तूफान उठाकर यूं भंवर में उलझाया न करो ।
माना कि हर आरज़ू को मिलती नहीं मंजिल ,
हालात होते है तमन्नाओं के कत्ल में शामिल ,
हर हादसे पर यूं आहत न हो जाया करो ,
अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ।
सजाया न करो जख्म ए दिल अश्कों की दुकान में ,
मरहम तो होता नहीं , होता है नमक लोगों की जुबान में ,
थोड़ा मुस्कुरा कर हाले दिल जमाने से छुपाया भी करो ,
अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ।
झांक भी लिया करो हसरतों की इमारतों से बाहर ,
मिल जाएंगे खुदा का शुक्रिया करते जो मिला उसके लिये ,
कभी अपने दिल की ऐसे भी समझाया करो ,
अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ।
अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ,
थाम कर इन्हें अपनी ताकत बनाया करो ,
बमुश्किल से आती है साहिल पर कश्ती जिंदगी की ,
यूं तूफान उठाकर भंवर में उलझाया न करो ।
******दीप******
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 8 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमाना कि हर आरज़ू को मिलती नहीं मंजिल ,
जवाब देंहटाएंहालात होते है तमन्नाओं के कत्ल में शामिल ,
हर हादसे पर यूं आहत न हो जाया करो
सार्थक समानुभूति की भावाभिव्यक्ति
वाह
जवाब देंहटाएंथोड़ा मुस्कुरा कर जमाने से हाले दिल बताया भी करो ... क्या खूब कहा ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" पर साझा करने के रवीन्द्र सर एवं सभी टीम के साथियों को बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएंविभा मेम , जोशी सर एवं अमृता मेम की बहुमूल्य टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंओंकार सर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
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