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शनिवार, 30 जुलाई 2022

यूं ही #दिल चुराने वाले !

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#मासूम #अदाओं से,

यूं ही दिल चुराने वाले ,

कभी करते  बैचेन हो ,

तो कभी बनते #उम्मीदों के उजाले ।

 

चाहत किसे नहीं  ,

बन जाये अपना कोई ,

मिल जाये सुकून दिलों का

और नींद रातों की चुरा ले ।

 

जतन पर जतन करते हैं ,

हर राह उनकी चुनते हैं ,  

की कभी तो हो जायें,

उनकी नजरों के हवाले ।

 

बहुत हुआ अब ,

काश कह दूँ सब अब  ,

पर सामने होते है वे जब,

खुलते नहीं लवों के ताले ।

 

चाहत का क्या है ,

हो सकता एक तरफा है ,

जरूरी  नहीं उधर भी यही रजा है ,

फिर भी रखे हैं  दामन उम्मीद का संभाले ।

 

मासूम अदाओं से अपनी,

यूं ही दिलों को चुराने वाले ,

कभी करते बैचेन ,

तो कभी  बनते उम्मीदों के उजाले ।

शनिवार, 23 जुलाई 2022

#मुश्किलें भी नहीं है कम !

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#मुश्किलें भी नहीं है कम,

वैसे भी इस जमाने में ।

पीछे नहीं रहते है फिर भी,

कुछ अलग #अनुचित #आजमाने में ।


नदी नाले उफान पर ,

पानी भरा कई स्थान पर ,

कहीं खतरे के निशान पर ,

कहीं बन आई जान पर ,

फिर भी उठाते जोखिम भरा कदम ,

लगाकर दांव जीवन का ,

सेल्फी खिंचवाने में । 


प्रदूषित है वातावरण ,

पस्त है श्वसन तंत्र ,

हर उत्पादों में है रसायन ,

स्वास्थ का हो रहा है क्षरण,

फिर भी करते हैं सेवन ,

#शराब , #तंबाकू और #धूम्रपान,

गम या खुशी मनाने में ।


बेतरतीब है #आवागमन ,

#दुर्घटनाओं को मिल रहा आमंत्रण,

सड़कों  पर है अतिक्रमण ,

जगह भी बची है बहुत कम ,

फिर भी लोगों को आता है आनंद ,

हवा से बातें कर ,

वाहन तेज #रफ्तार चलाने में ।


सीखने को है अथाह #ज्ञानधन ,

#जिम्मेदारियां भी नहीं है कम,

अवसरों का भी करना है दोहन ,

एक जीवन भी पड़ जाये कम,

फिर भी व्यस्त है युवा जन ,

मोबाइल , टी वी और यूं ही घूमकर ,

व्यर्थ समय #गंवाने में ।


धैर्य भी हो रहा है कम ,

जल्द पाना चाहते है हर फन,

मेहनत भी चाहते हैं कम ,

और आसान हो जाये यह जीवन ,

अपनाकर रास्ते लघु

और तरीके अनुचित  ,

फंस जाते है किसी दलदल खाने में ।


गर हो जाये तैयार मन से ,

मेहनत और संयम को आजमाने में ,

तो हो जाये मुश्किलें कम ,

इस उम्मीदों से भरे जमाने में ।

रविवार, 17 जुलाई 2022

#बारिश की कुछ #बूंदें !

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#गर्मी के चेहरे में एक शिकन थी ,

जब #बारिश ने तपन कुछ कम की ,

मिट्टी की भी तासीर जरा नम थी ,

और छलकी #खुशी #ईश्वर के  रहम की ।


जगह नहीं बची है थमने,

राह भी रोक ली अतिक्रमण ने,

#बारिश का भी इस धरा में बसेरा है,

जिसे ढूंढ रही है अब हर घर आंगन में ।


#बारिश को न मिले बदनामी का वार ।

इसलिए एक गुजारिश है  यार ,

जब पानी ज्यादा हो या हो बाढ़,

न खिलवाड़ करो , न करो पार ।


बरसने दो #बारिश को बिंदास ,

थोड़ी सी असुविधा के कारण ,

बुरा भला न कहो अकारण ,

बुझने दो #धरती मां की #प्यास ।


भरी गर्मी जब तपती है ,

बाद  बदली बरसती है ,

प्रकृति कुछ नया रचती है ,

और  एक नई दुनिया बसती है ।

शनिवार, 9 जुलाई 2022

निकलने लगे हैं #चादरों से पांव ए जिंदगी ।

चल रही जरूरतें हर रोज,

एक नया दांव ए #जिंदगी ।

निकलने लगे हैं #चादरों से,

अब ये #पांव ए जिंदगी ।


देखकर जिंदगी औरों की ,

हसरतें अपनी किया खड़ा ,

कभी झांसें में आकार बाजारों के ,

कुछ और खरीदा बेवजह ,

यूं बढ़कर हो गई हसरतें,

बेपनाह ए जिंदगी ।....


पसंद अपनी है अपना नजरिया है ,

मुताबिक उसके ही सब इकट्ठा किया है ,

फिर भी कमी सी दिल में खलती है ,

अभी और मिले ऐसी तमन्ना मचलती है,

थम नहीं रही चाहतों की ,

ये नाव ए जिंदगी ।....


काश भर जाये दिल उस पर

अब तक जो मिला ,

जरूरत से ज्यादा हसरतों को

न मिले दाखिला ,

फिर आयेगा क्यों न दायरों में 

ये पांव ए जिंदगी ।....


चल रही जरूरतें हर रोज,

एक नया दांव ए जिंदगी ।

निकलने लगे हैं चादरों से,

अब ये पांव ए जिंदगी ।

मंगलवार, 5 जुलाई 2022

बहकी बहकी सी बारिश है !

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 बहकी बहकी सी बारिश है ,

हवाओं से मिल की साज़िश है ,

दरवाजे खटखटाती शोर मचाती,

फुहारों संग घर में घुस आती ,

फर्श फिसलन भरा बनाती है ,

न जाने कौन सी निभाती रंजिश है ।........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

बिजली गिरा की आतिश है ,

बादलों से धमाके करवाती ,

सबके दिलों को दहलाती ,

डरे सहमे  सब घर में बैठे ,

न जाने क्यों ऐसी की जिद है ।.........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

दिल को बनाया लावारिश है ,

नाच रहे बस तन को भिगो के ,

चाहे जमाना कुछ भी सोचे ,

मस्ती में नाचे मन का मोर ,

जैसे प्रकृति का मादक आशीष है ।


बहकी बहकी सी बारिश है ,

कहीं गिरी तो कहीं खारिज है ,

कहीं तो जलजला ले आती ,

कहीं बूंद बूंद को तरसाती ,

ऐसी मदहोशी हो कमजोर,

सबको मिले सम बारिश है ,

है ईश्वर से यही  गुजारिश है ।

एक दूजे के लिये #चांद से !

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