#मदहोशी की मस्ती है , 
वो बाहों की कश्ती है , 
सोचा न था यूं पूरी होगी ख्वाइश , 
चाहत के समंदर में लो डूबते हैं हम आज । 
कुछ इस तरह से खाया तरस , 
मखमली हाथों का मिला स्पर्श , 
तपती रेत में बारिश  गई बरस ,
लो बन गया दिन बड़ा ही खास । 
कहीं न जाओ अब जनाब , 
यूं ही बैठो रहो पास , 
कितना सुकून है जनाब , 
तुमसे मिलकर यूं आज । 
 ***दीपक कुमार भानरे ***

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 22 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय अग्रवाल मेम ,
हटाएंमेरी लिखी रचना को मंगलवार 22 अगस्त 2023 को http://halchalwith5links.blogspot.in पर शामिल करने लिये बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
सादर ।
Wow :-) ,So beautiful :-)
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवि सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद एवं आभार ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुशील सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद एवं आभार ।