Image Google sabhar |
क्यों न कहा अपने दिल की #दास्तां ,
कुछ तो करते हम दर्दे दिल की #दवा,
या तो उठा लेते सर पर #आसमां,
या तो बन जाते #जमीं सा #आसरा ।
क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां ,
हम तो तकते रहते थे तुम्हारा रास्ता ,
इसी बहाने मिलने का मिलता तो मौका,
गुजरता वक्त साथ आपके कुछ तो जरा ।
क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां,
करते तुम्हारे लिये #सुकून की #दुआ,
मांगते तुम्हारे लिये अपना भी #हिस्सा,
चढ़ते तुम्हारे लिये #मंदिर की #सीढियां।
क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां,
#दुशवारियों का कुछ हल तो निकलता,
कुछ तो #संवरती उलझे मन की दशा ,
#संभलता मन आहिस्ता आहिस्ता ।
Such hai... Man me chhupaye rakhkar puzzled hone se behtar to Kai baar man ka gubaar Nikaalne dena achha hota hai. Obviously *Baat karne se baat banti hai*... :-)
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .
हटाएंआदरणीय यशोदा मेम मेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आधार । सादर ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपकी प्रशंसा मयी टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .
हटाएंबेहतरीन 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .
हटाएं