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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

जब #आग लगी हो #सीने में !

इमेज गूगल साभार

#आराम कहां है जीने में ,

जब #आग लगी हो #सीने में ।


धधकती है #ज्वाला अंदर ,

लेकर #हौसलों का #समंदर ,

हार न माने तब तक ,

कतरा कतरा #खून का ,

बह न जाये #पसीने में ।


पर्वत क्या, पहाड़ क्या ,

दुश्मनों की #दहाड़ क्या ,

#खाक छानेंगे तब तक ,

खप न जाये जिंदगी यह,

#मुश्किलों का #लहू पीने में ।


#सहूलियतों से वास्ता नहीं,

पसंद सीधा साधा रास्ता नहीं ,

तकलीफों से #ताल्लुकात तब तक,

#हौसलों #हुंकार न भरे जब तक,

मंजिलों के चढ़ सीने में ।


आराम कहां है जीने में ,

जब आग लगी हो सीने में ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 25 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मेम,
      मेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" जैसे प्रतिष्ठित मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार , सादर ! !

      हटाएं
  2. बहुत शानदार
    और उत्साह वर्धनिय हैं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय अनूप सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. आदरणीय जोशी सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय हरीश सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .

      हटाएं
  5. वाह!!!
    आराम कहां है जीने में ,
    जब आग लगी हो सीने में ।
    बहुत सुंदर सृजन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय सुधा मेम , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .

      हटाएं

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