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रविवार, 3 मार्च 2024

जुदा है वो हर #अदा से !


जुदा है उसकी #आंखें ,

नीली नीली सी आंखें ,

गीली गीली सी आंखें ,

निकली जैसे समंदर में नहाके ।


जुदा है उसकी #बातें ,

कहती सब अंदाजे बयां से,

फूलों से लफ्ज़ जुबापे,

निकले जैसे शहद में भिगाके ।


जुदा है उसकी #सांसें ,

जब कभी वो पास आते ,

एक तूफान सा उठाके ,

रह जाते सांसों में समाके ।


जुदा है वो हर #अदा से ,

मुस्कान चेहरे पर सदा से,

चुके न कोई कायदा से ,

रहती वो बस रस्मों वफा से ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आदरणीय आलोक सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. आदरणीय हरीश सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. आदरणीय देवेश सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय रूपा मेम , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आदरणीय स्वेता मेम , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. आदरणीय जोशी सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  7. आदरणीय पम्मी मेम , मेरी इस रचना को " पांच लिंको के आनद " के सम्मानित मंच में स्थान देने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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