मन के अंदर कितने हो घाव,
फिर भी रखे कोमल स्वभाव,
मुश्किल में हो कितनी जीवन नाव,
फिर भी डिगे न इन के पांव ।
#ममता के #आंचल की छांव ,
सुरक्षा और #आश्रय का भाव ,
चाहे कितना हो आभाव ,
#अन्नपूर्णा बन करती पुराव ।
चलाती उंगली पकड़ पांव पांव,
जुबां को देती शब्द और सुझाव,
शिशु को देती रुचि और चाव,
ताकि उचित हो पोषण और बढ़ाव।
बल व शक्ति रूपेण #दुर्गा ,
समझ व ज्ञान रूपी #शारदा ,
स्नेह का अविरल निश्चल प्रवाह ,
प्रज्ञा, प्रीति , प्रथा, प्रतिभा ,
#नारी शक्ति अनंत अथाह ।
#महिला दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 10 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, उत्साह बढ़ाती बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंआदरणीय यशोदा मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" शामिल करने हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, उत्साह बढ़ाती बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंनारी शक्ति को नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
आदरणीय मेम, प्रशंसमयी बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंसुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम, प्रशंसमयी बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना जय नारी शक्ति
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति
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