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मंगलवार, 13 मई 2008

प्रतिभाये और भी है .

जब भी टीवी कार्यक्रम चालू करें तो फिल्मी गाने और फिल्म नृत्य से संबंधित प्रतियोगी कार्यक्रमों की भरमार देखने को मिलती है । बमुश्किल ही फ़िल्म के इतर कॉमेडी और पांचवी पास से तेज़ कार्यक्रमों के अलावा अन्य क्षेत्र से संबंधित प्रतियोगी कार्यक्रम देखने को मिलेंगे . क्या प्रतिभाये सिर्फ़ फिल्मी क्षेत्र मैं ही है अन्य क्षेत्र मैं नही . बेशक टीवी जैसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने प्रतिभाएं को आगे आने हेतु और उनके फन को प्रस्तुत करने हेतु उचित अवसर और मंच उपलब्ध कराया है . किंतु यह सिर्फ़ एक ही क्षेत्रों से ही क्यों । इसके समर्थन मैं एक बात यह कही जा सकती है की टीवी लोगों का मनोरंजन का साधन है , अतः मनोरंजन पूर्ण कार्यक्रमों की प्रधानता रहती है । किंतु यह ज्ञान के भी साधन के रूप मैं उभर कर सामने आया है , और वर्तमान मैं उनके द्वारा निभाई जा रही भूमिका को देखते हुए उनसे ऐसी आशा किया जाना अपेक्षित लगता है ।
अतः प्रतिभाये और भी है , उन्हें भी मौका और अवसर प्रदाय किया जाना चाहिए . इलेक्ट्रोनिक मीडिया टीवी द्वारा अभी अब तक किए गए कार्यों से लोगों की अपेक्षा बढ़ गई है । अतः फिल्मी क्षेत्रों के अलावा खेल , विज्ञान , साहित्य , कला , चिकित्सा , और अन्य क्षेत्र को लेकर प्रतियोगी कार्यक्रम क्यों नही कराया जाता है . जैसे बिभिन्ना खेलों के ख्यातिनाम और अनुभवी खिलाडी की टीम को लेकर खेल प्रतिभाओं को खोजना , विज्ञान के क्षेत्र जैसे चिकित्सा , ऑटो मोबाइल , उद्योग , कृषि , इलेक्ट्रानिक्स, कंप्यूटर इत्यादी इत्यादी के अनुभवी वैज्ञानिको और बुद्धिजीवी की टीम बनाकर नए नए यंत्रों , उपकरणों के अनुसंधान और अविष्कार को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन करवाना . इसी प्रकार खेलों , साहित्य , विभिन्न कला के क्षेत्र और ज्ञान के क्षेत्र हेतु भी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है । इस नेक कार्यक्रम मैं सरकार और अन्य गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है।
क्योंकि उचित अवसरों और मंच के आभाव मैं विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाये गुमनामी की जिन्दगी जीते हुए दम तोड़ देती है । अतः आवश्यकता है हर क्षेत्र की प्रतिभाओं को बराबरी से उचित अवसर और मंच मुहैया कराये जाने की । नई प्रतिभाओं के हुनर और उनके फेन को उभारने और परिमार्जित करने की । इससे निसंदेह समाज के हर क्षेत्र मैं फायदा तो होगा ही साथ ही देश के चहु मुखी विकास मैं भी चार चाँद लगेंगे । अतः जमीन के सभी तारों को टिम टिमाने हेतु उचित अवसर और मंच प्रदान करने की , जो की आशा भरी निगाहों से इंतज़ार कर रहे हैं उचित अवसर और मंच की ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक टिप्पणी की है आपने. प्रतिभाएं नहीं खिलौना बन गई है आज की पीढी. ऐसे शब्दों पर बच्चों को नचाया और अभिनय करा कर ये नंबर दे रहै है जिन शब्दों के सही से अर्थ भी नही जानते ब्च्चे. पर इस सबके खिलाफ एक मुहिम चलाने की जरूरत है साहब. केवल कहने से कुछ नही होगा. आप यदि मुहिम में हिस्सेदार बनने कि इछा भी रखते है तो बताये.

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  2. सही कह रहे हैं.

    मगर सारी जनता जब पसंद करेगी तो क्यूँ बदलेंगे इसे मिडिया वाले??

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