फ़ॉलोअर

शनिवार, 5 जुलाई 2025

#बारिश की बारात में करना पड़ेगा विदा ।

 


कब तक संभाल रखोगे
जल #बूंदों का कारवां
कभी तो करना होगा विदा
एक दिन ए #आसमां।

माना कि कई दिवसों से 
अपने आंचल #मेघ में 
जिनको रखा था छुपा ,
#बारिश की बारात में 
करना पड़ेगा विदा 
एक दिन तो आसमां ।

किरणों के स्नेह वश
चल पड़ी थी साथ 
अथाह जल राशि
छोड़ अपनी धरा ,
लेकर ताप 
सूर्य किरण का 
मिल रहे थे इस धरा से
जब तुम ए आसमां ।

पार कर हद अपनी
आई चलकर
बूंद बूंद तुम तक
लेकर रूप हवा ,
समा लिया 
इनको समेटकर
मेघ से अपने आंचल में 
तुमने ए आसमां ।

बिजली की दे दो चपलता
और मेघ की गर्जना 
सितारों की दे दो चमक 
और चांद की शीतलता ,
बूंदों को उपहार की 
देकर यह श्रृंखला 
करने फिर से धरा तृप्त
कर दो विदा ए आसमां ।

कब तक संभाल रखोगे
जल बूंदों का कारवां
कभी तो करना होगा विदा
एक दिन ए आसमां।
            **"दीपक कुमार भानरे" **

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Clickhere to comment in hindi

#बारिश की बारात में करना पड़ेगा विदा ।

  कब तक संभाल रखोगे जल #बूंदों का कारवां कभी तो करना होगा विदा एक दिन ए #आसमां। माना कि कई दिवसों से  अपने आंचल #मेघ में  जिनको रखा था छुपा ...