अब तो #इंतज़ार में ही #नफा है !
गुजर जाते हैं हर बार सामने से नजर मिला न सका है ।
वो भी तो कभी कुछ कहते नहीं न जाने क्या रजा है ।
कह सकूँ दो बातें उनसे कोशिश भी की कई दफा है ।
मेरी नादानियां कहीं ऐसे ही उन्हें कर न दे खफा है ।
नाराजगियां उनकी कहीं यूँ ही न बन जाये सजा है ।
वापिस खीच लेता हूँ कदम कहीं हो न जाये खता है ।
समझ न सके हाले वफ़ा वो इतनी तो नहीं नादां है ।
हो नजरें इनायत उनकी अब तो इंतज़ार में ही नफा है ।
सुकूँ अहसासों के लिए 'दीप' करते ख़ुदा का सजदा है ।
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गुजर जाते हैं हर बार सामने से नजर मिला न सका है ।
वो भी तो कभी कुछ कहते नहीं न जाने क्या रजा है ।
कह सकूँ दो बातें उनसे कोशिश भी की कई दफा है ।
मेरी नादानियां कहीं ऐसे ही उन्हें कर न दे खफा है ।
नाराजगियां उनकी कहीं यूँ ही न बन जाये सजा है ।
वापिस खीच लेता हूँ कदम कहीं हो न जाये खता है ।
समझ न सके हाले वफ़ा वो इतनी तो नहीं नादां है ।
हो नजरें इनायत उनकी अब तो इंतज़ार में ही नफा है ।
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