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शनिवार, 17 नवंबर 2018

आओ संभाल लें रिश्तों को दरकने से पहले !



आओ संभाल  लें  रिश्तों को दरकने से पहले ,
करें एक पहल नजरों में खटकने से पहले।

माना कि कुछ अनबन हो गई हो कभी ,
कुछ अपने रुसवा  हो  गये हो तभी ,
करें एक पहल फासले  मिटायें ,
आओ रूठे हुये अपनों  को मनायें।

गर  दोस्तों से बहुत दिनों से न हो मिले
जीवन की उलझनों में अब तक रहे उलझे ,
क्यों न एक सरप्राइज प्लान बनायें ,
दोस्तों के घर अचानक खुद ही पहुंच जायें ,

एक बार  फिर बच्चों संग बच्चे बन जायें ,
अपना बड़ापन त्याग उनके दोस्त हो जायें ,
शांत घर में खूब धमाचोकड़ी मचायें ,
बड़े छोटे की हदें पार कर जायें ,

माना जीवन की आपाधापी में समय नहीं मिला ,
बड़े बुजुर्गों संग बैठने का रुका सिलसिला ,
आओ दूर कर दें अब उनकी ये गिला ,
उनके  ही आशीर्वाद से जीवन "दीप"  है फलाफूला।

आओ संभाल लें  रिश्तों को दरकने से पहले ,
करें एक पहल नजरों में खटकने से पहले।
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1 टिप्पणी:

  1. आज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला 
    ख़ुशी हुई...!!

    जवाब देंहटाएं

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