हर वक्त जब यूं #मुस्कुराकर चले जाते हो ,
न जाने कितने दिलों की #उलझने बढ़ाते हो ।
ठहरा भी करो कभी पल दो पल,
गुफ्तगू हो जाये कुछ तो अगर ,
मिल जाये दिल को कोई डगर ,
पता नहीं दिलों की सदा को कब समझ पाते हो ।
आवो हवा जमाने कि जो रही है मिल ,
कुछ इस तरह से हो गई है कातिल ,
कि घायल हो रहे है अब तो कई दिल ,
पता नहीं दिलों पर और कितना सितम ढाते हो ।
माना कि मुस्कुराकर मिलना आदत है ,
गम की दुनिया से छेड़ी इक बगावत है ,
पर ये मुस्कुराहट कितनों की बनी चाहत है ,
पता नहीं ऐसी दीवानगी को कितनी और बढ़ाते हो ।
हर वक्त जब यूं मुस्कुराकर चले जाते हो ,
न जाने कितने दिलों की उलझने बढ़ाते हो ।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२७-०२-२०२१) को 'नर हो न निराश करो मन को' (चर्चा अंक- ३९९०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
बहुत ही बढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए एवं बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंhttps://deep-007.blogspot.com/2021/02/blog-post_26.html
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंhttps://deep-007.blogspot.com/2021/02/blog-post_26.html
जवाब देंहटाएंशानदार कविता
जवाब देंहटाएंआदरणीय ओंकार सर, कुलदीप सर एवं राय सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
बधाई
आदरणीय सिन्हा सर एवं खरे सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब लिखा है, बधाई हो, हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्दों में दिल की वात जुबां तक आयी है :-)
जवाब देंहटाएंशायद सर , बहुत धन्यवाद आपके बहुमूल्य विचार हेतु ।
जवाब देंहटाएंआग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंमोहक/उम्दा।
Sundar Rachna
जवाब देंहटाएंमन की वीना और गौरव सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
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