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शनिवार, 12 जून 2021

#आसमान में आये #बादल ।



आसमान में आये बादल , 

काले काले श्यामल श्यामल ।

गरज रहे मस्ती में बादल ,

चमक रही बिजली भी कड़कड़ ।

गर्जना से जब होता कंपन ,

बढ़ा जाती है दिल की धड़कन ।


एक साथ जब बरसी बूंदे , 

चारों दिशा टिप टिप से गूंजे ।

कोई लगा हाथों से छूने , 

कोई भरता अंजुली में  बूंदे ,

छपाक कर गड्डे में कूदे ,

तो भीग भीग कर मस्ती में झूमे ।


मिट्टी की भीनी खुशबू आई ,

धरती की जल से गोद भराई ।

गर्मी तो अब हुई पराई ,

ठंडी हवा बही सुखदाई ।


भर दिये प्रकृति का आंचल ,

आसमान से आये बादल ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय रविन्द्र सर मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर सम्मिलित कर आमंत्रित करने के बहुत धन्यवाद ।
    आपका यह मंच साहित्य सृजन के विभिन्न आयामों के प्रस्तुतीकरण और सूचित होने का उचित और सुन्दर मंच है ।
    निसंदेह चर्चा मंच का यह भागीरथी प्रयास सृजन कर्ताओं को विभिन्न आयामों में सृजन हेतु उत्साहित और प्रेरित करेगा ।
    बहुत शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय अनुराधा मेम , विन भारती जी एवं संदीप सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय अभिलाषा मेम , बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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