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रविवार, 22 मई 2022

यूं ही #बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को !

 


गर कहीं कुछ सुलग रहा है ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

यूं ही बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को ,

पर उसे उसका सबब बता दो ।


जो राहों में तुम्हारे,

बन बाधा खड़ी है डटकर ,

उस डालकर ठंडा पानी ,

एक बुझी राख बना दो ।


गर सुलग रही है ,

किसी अच्छे काम की ज्वाला बनकर ,

इसे डालकर और घी ,

दहकते शोलों का अंगारा बना दो ।


यूं बेपरवाह न छोड़ो किसी चिंगारी को ,

उसे उसका सबब बता दो ।

गर सुलग रहा है कहीं कुछ ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

21 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर पंक्तियाँ महोदय :-)

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय संगीता मेम,
    इस रचना को सोमवार २३ मई 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा करने के लिए
    आप का सादर धन्यवाद और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय रवि सर ,
    आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 23 मई 2022 को ' क्यों नैन हुए हैं मौन' (चर्चा अंक 4439) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय रविन्द्र सर ,
    इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 23 मई 2022 को ' क्यों नैन हुए हैं मौन' (चर्चा अंक 4439) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सच्चाई से व्यक्त की गई जीवन जीने की सच्ची बात
    अर्थपूर्ण और सुंदर रचना
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. सच चिंगारी को हवा या बुझना हमारे हाथ में होता है, यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है
    बहुत अच्‍छी प्रेरक रचना

    जवाब देंहटाएं
  8. चिंगारी को परिस्थितियों के अनुसार हवा दो या बुझा दो..बहुत सुंदर सारयुक्त अभिव्यक्ति।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  9. सही कहा आपने इस पार या उस पार का निर्णय होना ही चाहिए स्वस्थ हो उसे अंजाम तक पहुंचा दो, और जो बेमानी हो उस पर खाक बालों
    । सार्थक सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सटीक एवं सार्थक सृजन...
    चिंगारी को हवा दो या फिर बुझा दो यूँ हघ छोड़ी चिंगारी अहित ही करेगी ।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय खरे सर एवं कविता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीय स्वेता मेम एवं कोठारी मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय सुधा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  16. आदरणीय उषा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  17. आदरणीय मनोज सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुंदर रचना,यूं ही बेपरवाह न,,,,,,,बहुत बढ़िया ।

    जवाब देंहटाएं
  19. आदरणीय मधुलिका , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

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  20. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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