गर कहीं कुछ सुलग रहा है ,
तो उसे हवा दो या बुझा दो ।
यूं ही बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को ,
पर उसे उसका सबब बता दो ।
जो राहों में तुम्हारे,
बन बाधा खड़ी है डटकर ,
उस डालकर ठंडा पानी ,
एक बुझी राख बना दो ।
गर सुलग रही है ,
किसी अच्छे काम की ज्वाला बनकर ,
इसे डालकर और घी ,
दहकते शोलों का अंगारा बना दो ।
यूं बेपरवाह न छोड़ो किसी चिंगारी को ,
उसे उसका सबब बता दो ।
गर सुलग रहा है कहीं कुछ ,
तो उसे हवा दो या बुझा दो ।
सुंदर पंक्तियाँ महोदय :-)
जवाब देंहटाएंआदरणीय संगीता मेम,
जवाब देंहटाएंइस रचना को सोमवार २३ मई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा करने के लिए
आप का सादर धन्यवाद और आभार।
आदरणीय रवि सर ,
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 23 मई 2022 को ' क्यों नैन हुए हैं मौन' (चर्चा अंक 4439) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आदरणीय रविन्द्र सर ,
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 23 मई 2022 को ' क्यों नैन हुए हैं मौन' (चर्चा अंक 4439) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
सादर ।
सच्चाई से व्यक्त की गई जीवन जीने की सच्ची बात
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण और सुंदर रचना
बधाई
सच चिंगारी को हवा या बुझना हमारे हाथ में होता है, यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रेरक रचना
चिंगारी को परिस्थितियों के अनुसार हवा दो या बुझा दो..बहुत सुंदर सारयुक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
सही कहा आपने इस पार या उस पार का निर्णय होना ही चाहिए स्वस्थ हो उसे अंजाम तक पहुंचा दो, और जो बेमानी हो उस पर खाक बालों
जवाब देंहटाएं। सार्थक सृजन।
बहुत सटीक एवं सार्थक सृजन...
जवाब देंहटाएंचिंगारी को हवा दो या फिर बुझा दो यूँ हघ छोड़ी चिंगारी अहित ही करेगी ।
आदरणीय खरे सर एवं कविता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय स्वेता मेम एवं कोठारी मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुधा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंआदरणीय उषा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,यूं ही बेपरवाह न,,,,,,,बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मधुलिका , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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