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शनिवार, 21 दिसंबर 2024

लो बीत गया एक और #साल !


#फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और #साल

फिर मेरे #मकान से ।

 

सोचा था इस साल

अरमानों की गलेगी दाल ,

जीवन के ग्रह  #नक्षत्रों की

हो जायेगी  अच्छी  चाल

पर चलती रही जिदंगी इस साल भी

पुराने ही #इंतजाम से ।

 

बहलाता रहा मन को

कुछ #सपनों की शाम से

लो बीत गया एक और साल

फिर मेरे मकान से ।

 

कुछ #तालमेल कुछ #जुगाड़

कभी उत्साह तो कभी थक हार

गर न बना काम तो

ज़िम्मेदारी भाग्य पर डाल

मन में न रख कुछ #मलाल

खेल ली ज़िंदगी

कुछ ऐसी ही समान से ।

 

फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और साल

फिर मेरे मकान से । 

2 टिप्‍पणियां:

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लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...