#बादल है
#बारिश है
एक #चाय और
#पकोड़े की #गुजारिश है ।
कौन कहेगा
किससे यार
कहीं हो न जाये
#तकरार
कौन किससे करे
#सिफारिश है ।
#सुकून से अपने
किसको नहीं है प्यार
पकाने को कौन
उठायेगा #हथियार
मन में ऐसी एक #दुविधा
#लावारिश है ।
चलो निकाले
बीच का रास्ता
एक बनाये चाय
तो एक बनाये नाश्ता
कुछ ऐसी #सुलह से
हुई पूरी गुजारिश है ।
बादल है
बारिश है
एक चाय और
पकोड़े की गुजारिश है ।
यूट्यूब वीडियो हेतु क्लिक करें
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय , मेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक करने के लिये बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर । .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
हटाएंलाजबाव
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
हटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंयथार्थवादी लेखन
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
हटाएंवाह! बहुत खूब ☕
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंआहा ठंड में चाय मिल जाये तो दिन बन जाए
जवाब देंहटाएं