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मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

#वक्त का नया #घर !

#वक्त का नया #घर

राह तक रहा है इधर
ले #उम्मीदों का #असर

#पधारो हे #मित्रवर ।


#संभावनाओं से
भरी #आलमारियां
#अवसरों की
नई #क्यारियां
मिलने को है #तत्पर ।

दीवारों के नये रंग
भर #उत्सव और #उमंग
फर्श पर बिछी दरी
बन कदमों की प्रहरी
ताके तुम्हारी डगर ।

#सीख और सबक को
सब्र से सहलाना
#हताशा और #हार के
हस्तक्षेप को हराना
बांध बिछड़ों की यादों का भंवर ।

सहूलियतों की
सर पर छत
सीढ़ियां दे रही
अपना अभिमत
बढ़ मंजिल पग पग धर ।

#वक्त का नया #घर
राह तक रहा है इधर
कस #मजबूती से कमर
#पधारो हे #श्रीमित्रवर ।

#नवीन #वर्ष की अनेकानेक
बधाइयां और शुभकामनाएं ।
                **दीपक कुमार भानरे***

8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद सर ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद आदरणीय , आपको भी नव वर्ष की बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  3. मेरी लिखी रचना को " पांच लिंको के आनंद में " शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार सर ।

    जवाब देंहटाएं

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