#वक्त का नया #घर
राह तक रहा है इधर
ले #उम्मीदों का #असर
#पधारो हे #मित्रवर ।
#संभावनाओं से
भरी #आलमारियां
#अवसरों की
नई #क्यारियां
मिलने को है #तत्पर ।
दीवारों के नये रंग
भर #उत्सव और #उमंग
फर्श पर बिछी दरी
बन कदमों की प्रहरी
ताके तुम्हारी डगर ।
#सीख और सबक को
सब्र से सहलाना
#हताशा और #हार के
हस्तक्षेप को हराना
बांध बिछड़ों की यादों का भंवर ।
सहूलियतों की
सर पर छत
सीढ़ियां दे रही
अपना अभिमत
बढ़ मंजिल पग पग धर ।
#वक्त का नया #घर
राह तक रहा है इधर
कस #मजबूती से कमर
#पधारो हे #श्रीमित्रवर ।
#नवीन #वर्ष की अनेकानेक
बधाइयां और शुभकामनाएं ।
**दीपक कुमार भानरे***
🌹🙏
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 05 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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