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#आंगन की छत है !
#आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...
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#उलझा उलझा सा हर आदमी है यहां , कभी जीता है जंग, तो खेल है बिगड़ा । गर कमजोर पड़े थोड़ा सा भी जरा , पल में बदल जाता है खेल का कायदा । कब क...
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इमेज गूगल साभार # मासूम # अदाओं से , यूं ही दिल चुराने वाले , कभी करते बैचेन हो , तो कभी बनते # उम्मीदों के उजाले । चाहत किसे...
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रोज सुबह आते दैनिक या साप्ताहिक अखबार हो , टीवी मैं चलने वाले नियमित कार्यक्रम हो या फिर रेडियो मैं चलने वाले प्रोग्राम हो या मोबाइल मैं आ...
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