बुजर्गो ने कहा है की समय की कीमत समझनी चाहिए , बीता समय कभी लौट कर नही आता है . किंतु जिस देश मैं लोग किसी कार्य मैं देरी करना अपनी शान समझते है क्या वे समय का प्रबंधन करने मैं सक्षम है ? क्या समय की क़द्र करना हमारे हाथ मैं है ? हम मैं बहुत से कहेंगे की समय का प्रबंधन करना हमारे हाथ मैं है ? किंतु आज के दौर मैं जंहा लोग बढ़ रहे है और उसी अनुपात मैं संसाधन बढ़ने के बजाय कम होते जा रहे है तो आवश्यक सुबिधायें जुटाने के फेर मैं हम अपना बहुत सारा कीमती समय गवा देते हैं . और ये ऐसी व्यवस्थाये हैं जिसमे लगने वाले समय का प्रबंधन करना हमारे बस की बात नही है . जैसे आपको कही यात्रा पर जाना हैं तो , टिकट को प्राप्त करने हेतु लम्बी कतार लगाकर समय को गवाना , यात्रा हेतु प्रयोग किए जाने वाले वाहनों का निर्धारित समय पर न तो आना और न ही पहुचना । बैंकों मैं विभिन्न गतिविधियों हेतु , चाहे वह साधारण काउंटर हो या फिर ऐ टी एम् का काउंटर हो उसके लिए भी लम्बी कतार मैं खड़े रहकर समय को मजबूरी बस बेकार जाने देना . इस प्रकार और भी कई कार्य जैसे स्कूल , कॉलेज के कार्य , गैस सिलेंडर भरवाना , राशन प्राप्त करना , सिनेमा की टिकेट लेना , सरकारी कार्यालयों और दफ्तरों से संबंधित कार्य एवं दैनिक जीवन के अन्य कई आवश्यक कार्य , जिसमे लम्बी लम्बी कतार मैं लगे बगेर कार्य संपादित किया जाना सम्भव नही है , इसमे समय का जाया होना लगने वाली कतार पर निर्भर होता है , जो की हमारे हाथ मैं नही होता है ।
कुछ हम जनता की नादानिया और सरकार की नीतियों की खामियां , दोनों मिलकर समय को नष्ट करने हेतु हमें मजबूर करती है . इस प्रकार की परिस्थितियां न चाहते हुए भी लोगों का कीमती समय बरबाद तो करती ही है साथ ही उतने समय की मानव संसाधन की कीमती उर्जा भी बेकार जाती है , जिसका की उपयोग समाज तथा देश के हित मैं देश के विकास हेतु किया जा सकता है . क्या हमें इस प्रकार कतार मैं खड़े रहने की परम्परा से मुक्ति मिलेगी ? लगता है बढ़ते हुए लोग और अविवेकपूर्ण और अँधा धुंद तरीके से उपयोग के कारण कम होते प्राकृतिक और कृत्रिम संसाधान और सरकार की अदूरदर्शी नीतियां ये सभी दिनों दिन आम लोगों की समस्याओं की कतार को और लम्बी करते जायेंगे और समय की क़द्र करने जैसी बात हमारे बस की नही रहेगी ।
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 24 अप्रैल 2008
समय का प्रबंधन मुश्किल होते जा रहा है !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
एक दूजे के लिये #चांद से !
Image Google saabhar. एक दूजे के लिये #चांद से यह दुआ है ता उम्र , हो पल पल सुकून का और हर पल शुभ #शगुन । हो न कोई गलतफहमी न कोई उलझन, शांत ...
-
रोज सुबह आते दैनिक या साप्ताहिक अखबार हो , टीवी मैं चलने वाले नियमित कार्यक्रम हो या फिर रेडियो मैं चलने वाले प्रोग्राम हो या मोबाइल मैं आ...
-
Image Google saabhar. एक दूजे के लिये #चांद से यह दुआ है ता उम्र , हो पल पल सुकून का और हर पल शुभ #शगुन । हो न कोई गलतफहमी न कोई उलझन, शांत ...
-
गर #लक्ष्य का कर ले #शिकार बिन #आलस्य बिन हिम्मत हार आया वो जब अपने द्वार । गर रहा बेअसर पहला ही वार बढ़ जाती है #प्रतिद्वंदियों की कतार...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Clickhere to comment in hindi