हमारा गृह मंत्रालय बहुत ही परेशान था की हमारे गृह मंत्री श्री शिवराज जी इस बार बार के आतंकी हमले लो लेकर बहुत चिंतित हैं । आख़िर उनको समझ नही आ रहा था की उनकी परेशानी को कैसे दूर किया जाए । शिवराज जी अपने कार्यालय मैं इधर इस इधर टहल रहे हैं , और मन ही मन बडबडा रहें है की ये आतंकवादियों अति कर दी है । दूसरों राज्यों तक तो ठीक था , अब दिल्ली मैं भी बम विस्फोट कर रहे हैं । मुझे अपने लोगों की सुरक्षा की बड़ी चिंता हो रही है । ठीक उसी समय गृह राज्य मंत्री श्री जय प्रकाश जी आ जाते हैं वे भी बड़े परेशान दिख रहे हैं इन आतंकी हमलों से । तभी शिवराज जी की नजर जय प्रकाश जी पर पड़ती है और वे तपाक से कह उठते हैं की अच्छा हुआ आप आ गए हैं । मैं तो बहुत ही परेशान हूँ दिल्ली मैं हुए इन आतंकी हमलों से । मैं अपने लोगों की सुरक्षा की बड़ी चिंता सता रहे हैं । जय प्रकाश जी बोले कौन अपने लोग , उनका नाम तो बताये अभी खुफिया और सुरक्षा एजेन्सी को भेजकर पता लगा लेते हैं , तभी शिवराज जी बोले अरे मेरे कपड़े सिलने वाले दर्जी , लौंड्री वाले और वह दूकान जन्हा से मैं अपने लिए कपड़ा पसंद करते हूँ , वे ठीक हैं की नही , यार बड़ी चिंता हो रही है , मेरे कपड़े कौन सिलेगा , मेरे कपड़े मैं प्रेस कौन करेगा और मेरी पसंद की दूकान मैं पसंद के कपड़े कैसे मिलेंगा । अब मैं कैसे बदल बदल कर कपड़े पहन पाऊंगा ।
सुनते सुनते श्री जय प्रकाश जी भी अपने को रोक नही पाते हैं , वे भी अपना दुःख सुनाने शुरू कर देते हैं । आप सही कह रहे हैं शिवराज सर , इन आतंकी वादी हमलों के कारण मुझे भी उदघाटन समारोह मैं फीते काटने हेतु जाने मैं परेशानी हो रही हैं , क्या करुँ अब बमुश्किल मैं भी दिन मैं एकाध , दो फीते काटने के समारोह मैं जा रहा हों , क्या करुँ बड़ा परेशान हूँ ।
इसी समय बाहर मीडिया वाले परेशान कर रहे थे की देश मैं इतने आतंकी हमले हो रहे हैं और गृह मंत्रालय क्या कर रहा है ? उसी समय शकील साहब आ जाते हैं , शिवराज जी कहते हैं अच्छा हुआ आप आ गए । बाहर जाओ और मीडिया वाले को सम्भालों , वे ठीक हैं सर कहकर बाहर मीडिया वालों से रूबरू होने आ जाते हैं , और कहते हैं की इसी सम्बन्ध मैं अन्दर महत्वपूर्ण बैठक चल रही है ।
और अन्दर गुफ्त गू चल रही हैं । अंत मैं देश की सुरक्षा एजेन्सी और खुफिया एजेन्सी के प्रमुख बुलाते हैं और उन्हें कहते हैं की शीघ्र ही श्री शिवराज जी के धोबी , दर्जी और कपड़े की दूकान वालों की सुरक्षा के प्रबंध करें । साथ ही जयप्रकाश जी के हर फीते काटने वाले आयोजन के स्थान के कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाए । इस तरह महत्वपूर्ण बैठक समाप्त हो जाती है ।
और बाहर मीडिया वालों के पास ख़बर आती हैं की बैठक ख़त्म हो गई हैं । और निर्णय लिया गया है की दिल्ली और देश के महत्वपूर्ण ठिकानों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जायेगी और आतंकवादी घटना से शक्ति से निपटा जायेगा ।
आज की स्थिति का बहुत ही अच्छा विश्लेषण है. कुछ सोनिया और मनमोहन के बीच हुई विशेष मीटिंग पर भी प्रकाश डालिए.
जवाब देंहटाएंमीडिया के लिये बस एक ख़बर है जिसकी उम्र कुछ घंटे की है.....
जवाब देंहटाएं:) nice, keep it up
जवाब देंहटाएंमगर फिर भी शर्म उन्हें नही आती !
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