यह देश की लिए बड़े सुकून और खुशी की बात है की देश की उर्जा जरूरतों के मद्देनजर अमेरिका से परमाणु करार को करने हेतु अन्तराष्ट्रीय स्तर के परमाणु इधन आपूर्ति कर्ता देशों ने भी बिना किसी शर्त मंजूरी दे दी है । अर्थात परमाणु करार पर अब भारत और अमेरिका के बीच कोई रोड़ा नही है । यह एक उपलब्धि भरी बात है की भारत द्वारा सी टी बी टी और एन पी टी जैसी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए बगैर भारत को उसकी आवश्यकता हेतु अन्तराष्ट्रीय बाज़ार से परमाणु संसाधन सप्लाई करने की मंजूरी मिली है साथ ही यह भी कहा जा रहा है देश को उच्च परमाणु संसाधन तकनीक भी मिल सकेगी । अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु करार को मिली सहमती पर यह तो हुआ एक उपलब्धि भरा और करार का उजला पक्ष ।
किंतु इस करार पर कुछ प्रश्न देश के सामने अभी अनुतरित और उन्सुल्झे है । जिसका की जवाव अभी मिलना बाकी है । ३४ वर्षा के वनवास के बाद ऐसा अचानक क्या हो गया की सिर्फ़ भारत देश को ही परमाणु अप्रसार सी टी बी टी और एन पी टी जैसी संधि पर हस्ताक्षर किए बिना उसे परमाणु इंधन सप्लाई की अनुमति दी गई ? अमेरिका और परमाणु सप्लाई देश भारत पर इतनी उदारता क्यों दिखा रहे हैं ? क्या अमेरिका जैसा देश अपने किसी बड़े निजी स्वार्थ के भारत देश के प्रति इतना उदार हो सकता है ? कही ऐसा तो नही भारत परमाणु इंधन सप्लाई देशों के लिए एक बड़ा बाज़ार नजर आ रहा है , जिसके मद्देनजर भारत देश के प्रति इतनी उदारता दिखायी जा रही है । कहा यह भी जा रहा है की परमाणु इंधन का उपयोग पर्यावरण और स्वास्थय की द्रष्टि से काफ़ी नुक्सान दायक हैं एवं महंगा भी है और कुछ देश तो उर्जा उत्पादन के इन प्लांटों को बंद करने की मानसिकता बना रहे हैं , हो सकता है इसी के मद्देनजर अब परमाणु संसाधन संपन्न देश अपने इस संसाधन को खपाने हेतु नया बाज़ार ढूँढ रहे हैं ।
अभी भी देश के सामने इस परमाणु करार के कई पहलु को खुलकर नही रखा गया है । १२३ हाइड एक्ट के बारे मैं कोई स्पष्ट बात देश के सामने नही राखी गई है जिससे की देश के सामने अभी भी संशय की स्थिती बनी हुई हैं । वर्तमान सरकार भी अपने कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि को दिखाने के चक्कर मैं , हो सकता है देश के सामने इस करार के सिर्फ़ उजले पक्ष को रख रही है ।
काश यह सब आशंकाएं निराधार हो और यह करार देश के हित मैं हो और देश की सभी आवश्यक उर्जा जरूरत पूरी हो , जिससे देश के चहुमुखी विकास मैं कोई बाधा न हो । ऐसी मनोकामना हम सभी देशवासी करते हैं ।
आपकी बाते सही लगीं। प्रश्न बहुत से हैं; जैसे- चीन को इतनी पीड़ा क्यों हो रही है?
जवाब देंहटाएंदुनिया गतिशील है। शक्ति संतुलन बनते-बिगड़ते रहते हैं। भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है; ये बात अलग है कि भारतीयों को इसका आभास नहीं हो रहा है। जब तक नया काम नहीं होगा, नये परिणाम की अपेक्षा नहीं की जा सकती। बदलते विश्व में भारत को अपनी सोच गतिशील रखनी होगी।
बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
जवाब देंहटाएंन जाने क्यों भारत सरकार इस करार पर जनता का पूर्ण विश्वास नहीं अर्जित कर पाई. अभी भी बहुत सी बातें परदे के पीछे छुपी हैं.
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