फ़ॉलोअर

शनिवार, 27 सितंबर 2008

आतंकवाद की आग मैं घी डालने का काम कर रही है देश की राजनीति !

देश दिनोंदिन आतंकवादी घटना के चपेट मैं आता जा रहा है । अब तो देशवासिओं की हर दिन और हर रात भय के साए मैं गुजर रही है की ना जाने कब और कंहा आतंकवादी घटना हो जाए या फिर विष्फोट हो जाए . देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था चरमरा रही है । देश की खुफिया और सुरक्षा एजेन्सी चिंतित और परेशान हैं की आगे होने वाली आतंकवादी घटना देश की किस स्थान पर होगी और उन्हें किस प्रकार और किस तरह से रोका जाए ।
किंतु देश मैं मची इस आपाधापी के बीच राजनैतिक पार्टी आतंकवाद की आग मैं घी डालने का काम कर रही है । सब अपनी अपनी राजनैतिक रोटी सकने को लगे हैं । विपक्ष सत्ता पक्ष को , तो सत्ता पक्ष विपक्ष को दोषी ठहरा रही है । किंतु इन सब बीच इन लोगों को ना तो जनता की चिंता है और ना ही देश की ।
सत्तापक्ष के कुछ नुमाइंदे पकड़े गए आतंकवादियों की तरफदारी और सरकारी मदद दिलाने की बात कर रहे हैं । सरकारी खर्च मैं उनका कोर्ट केस लड़ने की तैयारी कर रहे हैं । यह पहला ऐसा उदाहरण है की सरकार , सरकार के विरुद्ध लडेगी जो शायद अपने भारत जैसे देश मैं सम्भव है । अब क्या कोई ऐसी संस्था हो सकती है जो अपने विरोधी पक्ष की और स्वयं की पैरवी एक साथ निष्पक्ष ढंग से कर सके । अब इससे देश की सुरक्षा और आतंकवादी घटना को रोकने मैं जी जान से जुड़े जवानों और सुरक्षा कर्मियों के मनोबल पर क्या प्रभाव पड़ेगा । जान जोखिम मैं डालकर जिन्हें पकड़ा आज उनकी ही सरकार उन्हें ही सरक्षण देने मैं लगी है । ऐसे मैं क्या आतंकवाद के इन आरोपियों को उचित सजा मिल पाएगी , यह एक यक्ष प्रश्न देश के सुरक्षा मैं जुड़े जवानों और देश वासियों के सामने मुंह बाएँ खड़ा है ।
अब दूसरी बात यह की क्या किसी व्यक्ति के बुरे कामों को प्रश्रय देकर या अनदेखा कर और इसके लिए उसे दण्डित न कर , आप उसे और बिगडेल बनाने के साजिश कर , आगे और बुरे और ग़लत कार्यों हेतु उसे प्रेरित नही कर रहे हैं । अपने तात्कालिक निजी स्वार्थों के मद्देनजर की गई क्या ऐसी मदद उस दोषी व्यक्ति और समाज के लिए भलाई कही जा सकती है ? यह तो दोषी व्यक्ति और समाज को एक अंधेरे कुंए मैं धकेलने के समान हैं ।
साथ ही यह बात भी ग़लत है की कुछ बहके और नासमझ लोगों के कुत्सित कारनामे के कारण उससे जुड़े सारे समाज को दोष देना भी ठीक नही । जिससे की अन्य लोग भी आक्रोश वश और निराशा वश ग़लत मार्ग मैं जाने को मजबूर हो ।
अतः सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष दोनों की राजनीति देशहित और जनहित को छोड़कर अपने निजी स्वार्थों के मद्देनजर देश मैं बढ़ते हुए आतंकवाद को हवा देने का काम कर रहें हैं जो की बिल्कुल ग़लत है । और इस बात को देश और देश की जनता को समझना होगा ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. सही बात कही आपने
    अपना विचार तो ये है कि जो आतँकवादी है उसे देश का शत्रु घोषित करके समस्‍त सरकारी लाभ रोक देने चाहिये जैसे सरकारी नौकरी छीन लेनी चाहिये भविष्‍य में नौकरी नहीं देनी चाहिये उससे तथा उाके परिवार से सम्‍पत्ति बेचने और खरीदने का अधिकार स्‍थगित कर देना चाहिये । मतलब आतँकवादी के कार्यो का दण्‍ड उसके परिवार को भी मिलना चाहिये जहॉं उसकी ऐसी परवरिश हुई

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका लेखन सच के करीब है. विडम्बना यह है की आज का नेतृत्व मात्र वोट की राजनीती का कायल है. वरना हर ईद पर रोजा इफ्तार की दावत देना किंतु नवरात्र, क्रिसमस या गुरु पर्व हेतु कोई भी आयोजन न करना किस मानसिकता का प्रतीक है? हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

एक दूजे के लिये #चांद से !

Image Google saabhar. एक दूजे के लिये #चांद से यह दुआ है ता उम्र , हो पल पल सुकून का और हर पल शुभ #शगुन । हो न कोई गलतफहमी न कोई उलझन, शांत ...