ये दुनिया का दस्तूर है की इस हाथ से ले तो उस हाथ से दे । आख़िर जब तक आप दोगे नही तब तक आप कुछ प्राप्त करने की आशा नही कर सकते हैं । सरकारी कामकाजों की तो बात ही छोड़ दो , यंहा तक की भगवान् के पास भी बिना लिए दिए कोई काम नही बनता है । तो अब आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं की ब्लॉगर की इस दुनिया मैं बिना कुछ दिए आपका काम होगा । अर्थात यदि आप चाहते हैं की आपके ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े और उस पर ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी आए । तो आपको भी दूसरों के ब्लॉग मैं जाकर , पढ़कर उस पर टिप्पणी भी करनी होगी और यह बात सार्भोमिक सत्य की तरह अडिग है । यानी की यह दुनिया Give and Take के सिद्धांत टिकी है ।
हाल ही मैं हिन्दी के वरिष्ट ख्यातिनाम ब्लोग्गेर्स द्वारा ब्लोग्स मैं टिप्पणी की बात पर अपनी बात रखी गई तो , इस बात पर ब्लोग्गेर्स के बीच वैचारिक द्वंद छिड़ गया । वाकई गंभीर बात कही गई है और यह ब्लॉग की दुनिया के लिए बहुत आवश्यक है खासकर हिन्दी ब्लॉग के लिए जिसे की अभी बहुत दूरी तय करनी है अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए । और इस बात पर इतना हंगामा नही बरपना चाहिए ।
यह सच भी है एक तरफा रास्ते से विश्व मैं ज्ञान एवं जानकारी प्रचार प्रसार सम्भव नही हैं । इसके लिए दो तरफा रास्ता खुला रखना होगा । कहा जाता है की अच्छा वक्ता वही हो सकता है जो अच्छा श्रोता भी हो , इसी तरह मेरा मानना है की अच्छा ब्लॉगर वही है जो सिर्फ़ लोगों को अपना ब्लॉग पढने के लिए दे वरन सभी को पढ़े भी और उस पर उचित टिप्पणी भी दे , तभी हम दूसरों से यह अपेक्षा कर सकते हैं की वे हमारे ब्लॉग मैं आकर , पढ़कर उस पर टिप्पणी करें । वैसे भी अपने ब्लॉग की पहुच अधिक से अधिक लोगों तक बने इसके लिए दूसरों के ब्लॉग पर टिप्पणी करने से बेहतर और कोई उपाय नही सूझता हैं । अतः दूसरों के ब्लॉग को पढ़कर उस पर टिप्पणी करने से ब्लॉगर का उत्साह वर्धन तो होगा ही होगा साथ ही हम उसे अपने ब्लॉग पर आने हेतु आमंत्रित करने का अच्छा माध्यम भी प्रदान कर सकेंगे ।
तो महोदय मुझे लगता है की हिन्दी ब्लॉग नित नई बुलंदियों को छुए इसके लिए आवश्यक है की टिप्पणी के माध्यम से हम एक दूसरे के बीच स्वस्थ्य संवाद स्थापित करने की परम्परा को कायम रख सकते हैं । विश्व के कोने कोने मैं बैठे हुए हिन्दी ब्लॉगर बंधुओं से सतत संपर्क बनाए रख सकते हैं और एक दूसरे के उन्नत विचार और ज्ञान को आपस मैं बांटकर अपने और समाज के हित मैं उपयोग कर सकते हैं ।
अतः ब्लॉगर की दुनिया मैं भी Give and Take के सिद्धांत की सच्चाई को स्वीकार कर उसे अपनाना होगा ।
आपने बिल्कुल सही कहा कि ब्लॉगर की दुनिया मैं भी Give and Take के सिद्धांत की सच्चाई को स्वीकार कर उसे अपनाना होगा । पर कुछ लोग आलेखों को पढ़ते भी नहीं और लगातार टिप्पणियां देते रहते हैं। दोचार दिन पहले मैनें देखा कि कोई भी आलेख , कैसा भी आलेख हो , एक खास टिप्पणी लिखकर कापी कर ली गयी और दो घंटे तक जितने भी पोस्ट किए गए , सबमें वह टिप्पणी चिपकती चली गयी। पुनः दो घंटे बाद दूसरी टिप्पणी कापी की गयी और बाद के पोस्टोa पर चिपकती गयी। ऐसा करना किसी भी दृष्ट से सही नहीं है।
जवाब देंहटाएंapne sahi kaha hai ki bloger ki hoslafsaahi ke liya comment dena jaruri hai.....sangeera ji baat mai bhi dam hai
जवाब देंहटाएंहम्म... सही कहा आपने पर लोग सिर्फ़ टिप्पणिया पाने के लिए टिप्पणी दें यह नही होना चाहिए
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा की अगर आप किसी के ब्लॉग पर जा कर उसे पढेंगे नहीं तो कोई दूसरा आपके ब्लॉग पर पढने क्यूँ आएगा???...आप ने जो लिखा वो बिल्कुल सत्य और सत्य के सिवा कुछ नहीं है...(अब मेरे ब्लॉग पर आप का इन्तेजार है...:)) मजाक कर रहा हूँ. )
जवाब देंहटाएंनीरज
आप सही कह रहें है आप किसी के यहाँ जायेंगे ही नही तो आपको जानेगा कोन
जवाब देंहटाएंgive and take तो है।
जवाब देंहटाएंपर इसका एक नजरिया ये भी है कि जब कोई नया ब्लॉगर होता है तब पुराने लोग ये सोच कर टिप्पणी नही करते है कि उन्हें भी पढ़ा जाए बल्कि हौसला बढ़ाने के लिए करते है।
और संगीता जी की बात से भी सहमत है।
यही चलन है जी ब्लॉग की दुनिया का :) सही लिखा है आपने ..
जवाब देंहटाएंमैं केवल यह कहता हूँ कि यदि आपके ब्लॉग पर कोई आता है तो यह शिष्टाचार का तकाजा है कि एकाध बार उसके ब्लॉग पर आप भी जाएँ या फिर इसका उलट कि यदि किसी के ब्लॉग पर आप जा रहे हैंतो उसे भी एकाध बार ही सही आपकी नोटिस लेनी चाहिए ! यही आपकी दृष्टि का प्रत्युपकार भी है ! क्यों ?
जवाब देंहटाएंमेरा अनुभव है- टिप्पणी दो तरह से आ रही हैं- एक, जब ऑफिस जाने की जल्दी हो तब सूचनात्मक, कि मै आपके ब्लॉग पर आया था, जो कमेंटलेस से बेहतर स्थिति है। दूसरा, फुर्सत हो तो अच्छी पोस्ट पर सटीक कमेंट लिखकर चर्चा को आगे बढ़ाये। अरविंद जी से सहमत हूँ कि शिष्टाचार भी कोई चीज़ होती है।
जवाब देंहटाएंपिछले दो दिनों में तीसरा लेख टिपण्णी का....हम क्या कहे .....हमने तो अपने टिपण्णी बक्से से पहले ही कुछ लिख रखा है इसलिए....
जवाब देंहटाएंमैं सहमत नहीं हूँ, भगवान् के मन्दिर में आप एक पाव लड्डू के बिना और मात्र श्रद्धा के साथ जायं तो भी वह आप को आशीर्वाद देंगे.
जवाब देंहटाएंठीक यही बात ब्लॉग-जगत के लिए भी है, यदि आप टिपण्णी नहीं भी करेंगे तो भी लोग आप को पढेंगे, यदि आप का लेखन अच्छा होगा तो.
सम्भव है कि आज-कल के लिए आप को मेरी बात सही न लगे पर भविष्य अच्छे लेखों का ही होगा.
एक बात और कहूँगा कि टिपण्णी देना आप का कर्तव्य है जिसे हर हालत में निभाएं लेकिन यह give and take के लिए नहीं है.
टिपण्णी-सम्राट के नाम से मशहूर हैं श्री समीर लाल जी, पर क्या उन्हें टिप्पणियों के द्वारा प्रोत्साहन की ज़रूरत है. अरे, पेड़ के लिए कहीं छाता लगाया जाता है वह तो ख़ुद छाया देता है. हम सभी का कर्तव्य है कि हिन्दी ब्लॉग जगत को हम सभी अपनी टिप्पणियों से सींचें.
टिप्पणियों से प्रोत्साहन मिलता है और अपनी कमियाँ भी मालूम चलती हैं और ये भी शत प्रतिशत सही है की यदि आप किसी के ब्लॉग पर टिपण्णी नहीं करेंगे तो अगला भी दो चार बार करके रह जायेगा....इसलिए आपसे मैं सहमत हूँ!
जवाब देंहटाएंTAKE ONLY DON`T GIVE...TAKE CARE
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ!
जवाब देंहटाएंसहमत हूं। किस बात से? ये भी क्या बताना चाहिये?
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