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शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

वादा और वचन की तबियत बिगाड़ रखी है राजनेताओं ने .

जी हाँ वादा , वचन या आश्वाशन और इंग्लिश मैं कन्हे तो प्रोमिस । अब जीवन मैं इन शब्दों का उपयोग बेमानी सा लगने लगा है । अब लोग किए गया वादा , वचन और आश्वाशन पर विशवास नही कर रहे है । क्योंकि इन राजनेताओं ने इन शब्दों के साथ खेलकर और अपने राजनैतिक हितार्थ इनका मन माफिक प्रयोग कर इनकी तबियत ख़राब कर रखी है । वैसे ही जैसे भगवान् राम के नाम को किसी एक पार्टी से जोड़कर देखना , रंगों एवं प्रतीकों को किसी अन्य पार्टी से जोड़कर देखना वैसे ही अब इन शब्दों को राजनेताओं की भाषा से जोड़कर देखा जाना लगा है । अब वो दिने गए जब वादा और वचन का बड़ा महत्व होता था । दिया गया वादा और कही गई बात पत्थर की लकीर होती थी । भगवान् राम के युग मैं तो प्राण जाए पर वचन ना जाए के धर्मं का पालन किया जाता था । प्रेमी भी वादा और आश्वाषणों जैसे शब्दों का प्रयोग करने से कतराने लगे है । अब वे प्रेमी अथवा प्रेमिका द्वारा किए गए वादों विशवास करने मैं संकोच करने लगे हैं । अब कसमों और वादों पर बने हुए गाने भी बेमानी लगने लगे है , जैसे वादा रहा सनम होंगे न जुदा सनम , जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा , वादा करले साजना तेरे बिन मैं न रहू मेरे बिन तू न रहे इत्यादि इत्यादि ॥ वही कुछ दूरदर्शी गीतकार ने यह भांप लिए था की वादा और वचन शब्द का क्या हश्र होना है तो उन्होंने ने कुछ ऐसे गीत लिख डाले जैसे कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या , क्या हुआ तेरा वादा , मिलने की कोशिश करना वादा कभी न करना वादा तो टूट जाता है आदि आदि । इसी कारण आजकल की फिल्मों मैं तो प्रेमी और प्रेमिका के वादा और अश्वाशानो वाले द्रश्य भी कम ही देखने को मिलते हैं । इसी का ही प्रभाव है की आजकल की युवा पीढी बंधन और जीवन भर साथ निभाने वाली शादी और विवाह जैसे संस्था से परहेज करने लगे हैं और लाइव इन रिलेशन शिप को अपनाने को महत्त्व दे रहें है ।

इन शब्दों से विश्वास इतना उठ गया है की अब हर कही गई बात का लिखित प्रमाण मांगने लगे हैं । क्योंकि इन राजनेताओं के रोज बदलते बयानों और वादों ने इतनी छबि ख़राब कर रखी है । इनके चुनाव के समय किए वादों और आशावाशानो को पूरा होने की रास्ता देखते देखते लोगों की नजरें सूख जाती है और अगले पाँच साल बाद फिर नया वादों और अश्वशानो के साथ खड़े हो जाते है और उनसे यह भी नही पूछ पाते है की क्या हुआ तेरा वादा । जो ज्यादा पूछता है तो उसे कोई उपहार और सुख सुबिधायें दे दी जाती है ।

तो देश मैं अब चुनाव का समय आ गया है । और नए वादों और वचनों के साथ फिर हाज़िर है हमारे देश के कर्णधार और राजनेता । अब देखें जनता किसके वादों पर कितना विश्वाश करती है और अपना अमूल्य मत देती है ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. वादे की अच्छी खिंचाई की है . बेहतरीन .

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  2. क्या हुआ तेरा वादा..
    वो कसम वो इरादा...
    सब का सब बकवास है इस देश में.
    खैर...
    दुआ कीजिये..
    बस्स............

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  3. बिलकुल सही कहा आप ने , लेकिन हमारे यहां अब भी जुबान की कीमत है, अगर आप ने किसी से भी मुंह जुबानी भी कोई सोदा कर लिया तो बात पक्की, इस लिये हमें यहां बहुत सोच कर बोलना पडता है.
    धन्यवाद एक अति सुन्दर लेख के लिये

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  4. ise hi rajniti kahte hain..khair is baare me baat karna hi bekar hai

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  5. क्योंकि इन राजनेताओं के रोज बदलते बयानों और वादों ने इतनी छबि ख़राब कर रखी है .
    बेहतरीन.

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  6. तो देश मैं अब चुनाव का समय आ गया है । और नए वादों और वचनों के साथ फिर हाज़िर है हमारे देश के कर्णधार और राजनेता । अब देखें जनता किसके वादों पर कितना विश्वाश करती है और अपना अमूल्य मत देती है ।
    जनता इस समय सब कुछ भुला देती है......

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