क्रिकेट सभ्य लोगों का खेल कहलाता है । किंतु इस सभ्य खेल के सभ्य खिलाडी ग्लेमर की चकाचोंध से अपने आप को नही बचा सके । फिल्मों और टीवी और फैशन के ग्लेमर की चमक के सामने क्रिकेट के ग्लेमर की चमक फीकी पड़ गई , और सभ्य खिलाडी इस ग्लेमर की चमक मैं फंस गए । आज के क्रिकेट खिलाडी ग्लेमर की अंधी दौड़ मैं शामिल होकर ख़ुद को और अधिक धन और शोहरत कमाने की हसरत से ख़ुद को रोक नही पाये , यंहा तक की अपने मूल खेल की जिम्मेदारी को भुलाकर । और इसमे इस खेल की प्रमुख संस्था बी सी सी आई भी अपने आप को दूर रख नही पायी । चाहे वह किसी उत्पाद के प्रमोशन हेतु विज्ञापन की बात हो । चाहे वह फैशन जगत मैं रैंप मैं चलने की बात हो , फिल्मों और टीवी धारावाहिकों मैं काम करने की बात हो या फिर अब कलर टीवी के एक खिलाडी एक हसीना के प्रोग्राम मैं टीवी अदाकारों के साथ नृत्य करने की बात हो ।
खिलाड़ियों द्वारा अपने मूल खेल को छोड़कर इस तरह ग्लेमर जगत की चकाचोंध वाली गतिविधियों मैं शामिल होने पर छुटपुट विवाद बनते और उठते रहे । किंतु कलर टीवी के एक खिलाडी एक हसीना प्रोग्राम मैं हरभजन का रावण का और उनकी सहभागी मोना सिंह का सीता का रूप धरकर विवादित नृत्य कर धार्मिक भावनाओं को आहात करने वाली घटना ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है । इस पर सिख संगठन और हिंदू संगठन ने आपति उठायी है , और ख़बरों के अनुसार उनके ख़िलाफ़ हिंदू देवी देवताओं का मजाक उडाकर धार्मिक भावनाओं को आहात करने पर कोर्ट मैं इसके ख़िलाफ़ केस भी दायर किया गया है ।
पहले भी मनोरंजन , कला प्रदर्शन और अभिव्यक्ति के नाम पर विवादस्पद होकर प्रसद्धि पाने के कुत्सित प्रयासों के चलते धार्मिक देवी देवताओं के सम्बन्ध मैं विवादस्पद बातों को अंजाम दिया गया है । क्या किसी धर्मं के आस्था और श्रद्धा के प्रतीक को निशाना बनाकर और उनका मजाक बनाकर सस्ती शोहरत हासिल किया जाना सही है । क्या ऐसी सस्ती लोकप्रियता की उमर लम्बी हो सकती है ? यदि इस प्रकार के विवादस्पद कार्यों जिसमे धार्मिक भावनाएं आहत हो के कारण यदि कोई देश और प्रदेश मैं अशांति का माहोल पैदा होता है तो क्या विवादों को जन्म देने वाले लोग इसकी जिम्मेदारी लेंगे ? हड़ताल , आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं होती है और उस पर जन और धन की कोई हानि होती है तो क्या ऐसे लोग इसकी जिम्मेदारी लेंगे ? यदि नही तो फिर बार इस तरह विवादास्पदों बातों को अंजाम देने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी करवाई क्यों नही की जाती , क्यों ऐसे लोगों को समाज मैं घूमने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है ?
अतः ऐसे लोग चाहे वे किसी खेल के राष्ट्रीय टीम के खिलाडी हो या फिर देश के व्ही आई पी ही क्यों न हो , के विरुद्ध कड़ी कारर्वाई की जानी चाहिए , ताकि दुबारा लोग इस तरह की विवादस्पद बातों को अंजाम देने से परहेज करें । और देश और प्रदेश मैं शान्ति और भाईचारे के वातावरण को दूषित और नुक्सान न पंहुचा सके । साथ ही खिलाड़ियों को भी अपनी वरिष्ट नागरिक की छबि और जिम्मेदारी को ध्यान मैं रखते हुए ऐसे विवादस्पद बातों को अंजाम देने से बचना चाहिए , क्योंकि इससे उनके लाखों प्रशसंकों और धर्मं से जुड़े करोरों लोगों की देवी देवताओं के प्रति आस्था और विशवास की भावना भी आहत नही होगी और सभ्य खेल की छबि भी बरकरार रहेगी .
kuch baato se sahmat hun!
जवाब देंहटाएंइन्हे पकड कर अफ़्गानिस्तान छोड आओ, फ़िर देखे यह नोटंकी वाज क्या करते है,
जवाब देंहटाएंऎसे लोगो के खिलाफ़ जरुर केस चलना चाहिये ओर जनता को चाहिये कि तोड फ़ोड के वजाये इन लोगो का वायकाट करे, इन की कोई गेम ना देखे, ओर यह मोना कोन सी बिमारी है ? इस का भी आऊट करे
धन्यवाद
कभी होता होगा पर क्रिकेट अब तो सभ्य लोगों का खेल नहीं रहा. अब तो इस खेल में राजनीति, कुर्सी के दांव-पेंच और पैसा ही रह गया है, सभ्यता तो दफ़न हो गई.
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